राजधानी दिल्ली से अब सक्षम लोग भी कर रहे पलायन

0

नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। लॉकडाउन के दौरान अब तक प्रवासी मजदूरों के शहरों से गाँवों की तरफ पलायन की खबरें प्रमुखता से आ रही थीं। हज़ारों प्रवासी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पर परिवार सहित पैदल ही चले जा रहे थे। ग्रामीण पृष्ठभूमि का शहरों में रहने वाला संभ्रांत वर्ग अपने घरों में ही बंद था। परन्तु जैसे जैसे दिल्ली में कोरोना संक्रमण का प्रकोप बढ़ा और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने लगी तो दिल्ली में रहने वाले ऐसे परिवार भी दिल्ली से अपने पैतृक गाँव की ओर पलायन करने लगे हैं।
दिल्ली से अपने गृह राज्य बिहार की ओर अपनी निजी कार से परिवार सहित पलायन कर रहे आशीष रंजन ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वो एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर हैं। कोरोना संकट में आफिस बंद है और घर से ही काम हो रहा है। उनकी सैलरी भी बराबर आर ही है। लॉकडाउन खुलने के बाद भी वो दिल्ली में ही रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में जिस प्रकार संक्रमण के मामले बढ़े हैं, दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। हम अपने घर गोपालगंज जा रहे हैं। यहां पर डर लगने लगा है। भगवान ना करे यहां कुछ हो गया तो कोई देखने वाला भी नहीं है। गाँव में सबकुछ है, घर बन्द पड़ा है। जब तक दिल्ली के हालात नहीं सुधरते गाँव में ही रहेंगे।
प्रयागराज के एक छोटे से गाँव के मूल निवासी विनय शर्मा एक फार्मा कंपनी में सेल्स मैनेजर हैं। वो दिल्ली में पत्नी, साली और दो बच्चों के साथ रहते हैं। विनय भी परिवार को अपने पैतृक गाँव छोड़ने जा रहे थे। विनय ने बताया कि दिल्ली के हालात भयावह हैं इसलिए वो अपने परिवार को गाँव में सुरक्षित रखना चाहते हैं। यदि कंपनी दवाब डालेगी तो वो अकेले लौट आएंगे, पर जब तक दिल्ली में स्थिति सुधर नहीं जाती, परिवार को गाँव में ही रखेंगे। विनय ने बताया कि गांव में कोरोना कोरोना-वोरोना कुछ नहीं है। लोग अपनी सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। गावँ में सब्जियां फ्री की हैं। दूध भी 35 रुपये लीटर मिल जाता है। वहाँ कूलर पंखे से ही काम चल जाता है। शहर जैसा खर्चा नहीं है। स्कूल अभी बंद हैं इसलिए गाँव के अधिकतर लोग अपने गावँ की तरफ पलायन कर रहे हैं।

 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *