छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर में 13.79 फीसदी आई कमी

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नई दिल्ली, 15 जून (हि.स.)। कुपोषण दूर करने में छत्तीसगढ़ को बड़ी सफलता मिली है। कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2019 में प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे, इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं, जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की थी। इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है। एनीमिया प्रभावितों को आयरन फॉलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जा रही है। प्रदेश को आगामी 3 वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं।
कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एकांतवास केन्‍द्र (क्वारेंटाइन सेंटर) में रह रहे सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित भवन में ठहराकर उनके टीकाकरण, आवश्यक दवाई, स्वास्थ्य परीक्षण की पुख्ता व्यवस्था भी की गई है। आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद कर 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया है। हितग्राहियों को गर्म भोजन के स्थान पर सूखा राशन वितरित करने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत मई माह तक तीन लाख 47 हजार हितग्राहियों को सूखा राशन प्रदान किया गया है। विश्व बैंक ने भी कोरोना वायरस के नियंत्रण के साथ ही टेक होम राशन वितरण कार्य की प्रशंसा की है।
कुपोषण प्रभावित बच्चों और महिलाओं को निःशुल्क काउंसलिंग और परामर्श सेवाएं देने के साथ नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। सुपोषण रथ, शिविरों और परिचर्चा के माध्यम से जनजागरूकता के प्रयास भी हो रहे हैं। इसी की एक कड़ी के रूप में एनीमिया के स्तर और स्वास्थ्य सुधार के लिए बस्तर जिले में शुरू किये गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान और स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत किचन गार्डन बागवानी को पोषण के लिए अनूठी राह बताते हुए यूनिसेफ ने सराहना की है।

 


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