उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फैसले से राज्य में नए निवेश की सम्भावना बढ़ी

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सीआईआई ने दून घाटी में गैर औद्योगिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति देने को सराहा  



देहरादून, 11 जून (हि.स.)। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (उत्तर क्षेत्र) ने दून घाटी में गैर औद्योगिक गतिविधियों की अनुमति देने के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फैसले की सराहना की है। दरअसल, दून घाटी अधिसूचना अधिनियम के तहत दून घाटी में उद्योगों, खनन कार्यों और अन्य विकासात्मक गतिविधियों पर प्रतिबंध था। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस साल जनवरी में अधिनियम में संशोधन किया था और इसके साथ ही दून घाटी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नियम भी बनाए गए थे।
हालांकि, सीपीसीबी वर्गीकरण के अनुसार लाल श्रेणी के उद्योगों को संचालन की अनुमति नहीं थी लेकिन अधिनियम में संशोधन के बाद नारंगी (ऑरेंज) श्रेणी के उद्योग भी लाल श्रेणी में आ गए, जिसके बाद उन्हें चलाने की अनुमति तो थी परन्तु विस्तार की अनुमति नहीं थी। नतीजतन, इन प्रावधानों के कारण बड़े होटल, शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सेवा संस्थान और अन्य बड़े उद्योग दून घाटी क्षेत्र में स्थापित नहीं किए जा सके।
सीआईआई, उत्तराखंड राज्य परिषद के अध्यक्ष अशोक विंडलास ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सराहना करते हुए कहा कि दून घाटी का वातावरण बड़े होटलों, संस्थानों, अस्पतालों और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए बहुत अनुकूल है, जो बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं, उनके लिए आगे संशोधन की आवश्यकता थी और जनवरी से ही सीआईआई प्रयासरत थी। उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मामले को उठाने और घाटी में गैर औद्योगिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति देने के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि संशोधित प्रावधान इस कठिन समय के दौरान नए निवेश को आकर्षित करेंगे और अस्पतालों को भी विस्तार करने की अनुमति देंगे, जिनकी बहुत आवश्यकता है।

 


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