दिल में दर्द लिए फिर से दिल्ली और पंजाब की ओर चल पड़े बिहार के श्रमिक

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बेगूसराय, 11 जून (हि.स.)। देशव्यापी लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांव लौटे। अब अनलॉक शुरू होने के बाद प्रवासियों के आने का सिलसिला कम हो गया है, लेकिन यहां काम नहीं मिलने के कारण फिर से वापस जाने का सिलसिला धीरे-धीरे तेज होता जा रहा है।
प्रवासियों के आवश्यक यातायात के लिए पूर्वोत्तर बिहार से बरौनी के रास्ते दो प्रमुख जगह मुंबई और दिल्ली के लिए ट्रेन चलाई जा रही है। सहरसा से चलकर बेगूसराय, बरौनी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर होते हुए नई दिल्ली जाने वाली 02553 वैशाली सुपरफास्ट स्पेशल एक्सप्रेस श्रमिकों का बड़ा सहारा बन रहा है। इससे बड़ी संख्या में प्रवासी दिल्ली की ओर चल पड़े हैं। अभी जो जा रहे हैं उसमें अधिकतर श्रमिकों ने दिल्ली और पंजाब का रूख किया है। दिल्ली में जहां वह काम कर रहे थे वहां फिर काम करने की आशा में जा रहे हैं तो पंजाब में अभी धान रोपनी में बिहार के मजदूरों की काफी डिमांड है।
पिछले साल पंजाब में मजदूरों को चार सौ से पांच सौ रुपया प्रतिदिन मजदूरी दिए जाते थे। लेकिन इस बार मजदूरों की कमी होने के कारण उन्हें आठ सौ तक ऑफर किए जा रहे हैं, ऊपर से आने-जाने का ट्रेन टिकट, रहना और खाना मुफ्त। पंजाब के किसान यहां के जिस मजदूर मेठ के माध्यम से मजदूर मंगवाते थे वह ना केवल ट्रेन का टिकट भेज रहे हैं। बल्कि एडवांस में मजदूरी भी खाते पर भेजे जा रहे हैं। गुरुवार को भी सुबह ठीक 08:52 बजे बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या पांच पर वैशाली सुपर फास्ट स्पेशल पहुंची तो जनरल बोगी में सवार होने के लिए मजदूरों का हुजूम उमड़ पड़ा।
स्टेशन के मुख्य गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे लोग सीट पकड़ने के लिए परेशान दिखे। सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से सीट पहले से फुल थी, जिसे जहां जगह मिला बैठ गए। हालांकि अधिकतर लोग रिजर्वेशन करवा कर ही जा रहे हैं। वापस जाने वाले में जाने वालों में सिर्फ श्रमिक ही नहीं, दिल्ली में प्राइवेट काम और अपना छोटा व्यवसाय कर रहे लोग भी शामिल हैं। ट्रेन में सवार मंगरु राम, रतन राम, सुरेश सदा, योगेन्द्र सदा, धर्मदेव सदा, शीला देवी, सुनीता देवी समेत 30 लोगों की टोली पंजाब जा रहे हैं।
इन लोगों ने बताया कि हम लोग पंजाब में ही ईंट भट्ठा पर काम करते थे। लॉकडाउन के बाद घर आ गए थे, लेकिन यहां काम ही नहीं मिला, काम नहीं मिलेगा तो क्या खाएंगे, कैसे गुजर बसर होगा। यहां रहने से कोई फायदा नहीं है, इसलिए फिर पंजाब जा रहे हैं। अभी 15-20 धान रोपनी करेंगे, उसके बाद फिर ईंट भट्ठा का ही सहारा है। वैशाली एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे सुरेश महतों एवं रमेश महतों ने बताया कि दिल्ली के नजफगढ़ में रहकर बोरा-चट्टी का छोटा-मोटा धंधा करते हैं। लॉकडाउन होने के बाद घर आए थे, सोचे था कि अब यहीं कुछ काम धंधा करेंगे लेकिन यहां कोई काम नहीं मिला, लोन लेकर व्यवसाय शुरू करने का प्रयास किया तो पता चला कि बैंक से कर्ज लेने के लिए पहले पैसा खर्च करना पड़ेगा, थक हार कर दिल्ली जा रहे हैं। बिहार में सरकार काम की व्यवस्था करें तो फिर यहीं आकर काम धंधा करेंगे।

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