दिल्ली हाई कोर्ट ने सीमित कोरोना टेस्ट के मामले में एलजी के फैसले पर मुहर लगाई

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नई दिल्ली, 09 जून (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना टेस्ट को लेकर उप-राज्यपाल के फैसले पर मुहर लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के दिशा-निर्देशों का पालन हो जो संदिग्ध मरीजों में भी कोरोना के टेस्ट की छूट देता है। हाई कोर्ट ने संबंधित गाइड लाइंस को प्राइवेट लैब्स पर भी लागू किए जाने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को यह सूचित किया कि दिल्ली के उप-राज्यपाल ने दिल्ली सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें बिना लक्षण वाले मरीजों की टेस्टिंग नहीं करने को कहा गया था। तब हाई कोर्ट ने कहा कि उप-राज्यपाल के आदेश के बाद अब इस याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता है। हाई कोर्ट ने संबंधित गाइड लाइंस को प्राइवेट लैब्स पर भी लागू करने का निर्देश दिया है।
डॉ. मणि हिंगोरानी ने दायर याचिका में कहा था कि दिल्ली सरकार का यह आदेश अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिस के विपरीत है कि जिन मरीजों को कोरोना के लक्षण नहीं हैं, उनकी सर्जरी की जा सकती है। स्थापित मेडिकल प्रैक्टिस के मुताबिक किसी भी मरीज की सर्जरी से पहले उसका कोरोना टेस्ट होना जरूरी है, चाहे उसे कोरोना के लक्षण हों या नहीं हों। याचिका में कहा गया था कि सर्जरी करानेवाले मरीजों को अगर कोरोना का लक्षण नहीं हो और अगर उसे कोरोना हो तो ये सर्जरी करनेवाले डॉक्टर और सर्जरी में लगी पूरी नर्सिंग स्टाफ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
दिल्ली सरकार के इस फैसले से डॉक्टरों और अस्पताल में काम करनेवाले नर्सिंग स्टाफ को कोरोना का खतरा हो सकता है। दिल्ली सरकार का यह फैसला सर्जनों के प्रोफेशनल अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार का यह आदेश केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 3 जून को सुरक्षित ईएनटी प्रैक्टिस के लिए जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। दिशा-निर्देश में किसी मरीज की सर्जरी के पहले उसकी कोरोना की टेस्टिंग करने की बात कही गई है।

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