अब इस्लामिक गणराज्य ईरान से भारतीयों को स्वदेश लाएगी नौसेना

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आईएनएस शार्दुल सोमवार सुबह ईरान के पोर्ट ऑफ बांदर अब्बास पहुंचा भारतीयों को सुरक्षित निकालकर जहाज गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह पर लौटेगा 



नई दिल्ली, 08 जून (हि.स.)। विदेशों से भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए भारतीय नौसेना के ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ के अगले चरण में इस्लामिक गणराज्य ईरान से भारतीयों को स्वदेश लाया जाएगा। इसके लिए भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएस शार्दुल सोमवार को सुबह ईरान के पोर्ट ऑफ बांदर अब्बास पहुंच गया। यहां से भारतीयों को सुरक्षित निकालकर जहाज गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह पर लौटेगा।
भारतीय नौसेना ने विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए 08 मई,2020 से ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ शुरू किया था। भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस जलाश्व और आईएनएस मगर अब तक मालदीव और श्रीलंका से 2874 भारतीयों को स्वदेश लाकर कोच्चि और तूतीकोरिन के बंदरगाह पर पहुंचा चुके हैं। ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ के अगले चरण में भारतीय नौसेना का जहाज शार्दुल आज सुबह भारतीय नागरिकों को लेने के लिए इस्लामिक गणराज्य ईरान के बांदर अब्बास बंदरगाह पहुंचा है।
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान में भारतीय मिशन भारतीय नागरिकों की सूची तैयार कर रहा है। जहाज के बंदरगाह पर पहुंचने के बाद पोर्ट गेट पर यात्रियों के स्वास्थ्य की जांच और उन्हें सैनेटाइज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। कोविड से संबंधित सामाजिक दूरी के मानदंडों का जहाज पर पूरी तरह ध्यान रखा जाएगा और समुद्री यात्रा के दौरान भारतीयों को जहाज पर ही बुनियादी और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि भारतीयों को ईरान से भारत वापस लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पूरी तरह पालन किया जाएगा। चालक दल के लिए अलगाव और संगरोध प्रोटोकॉल के साथ जहाज पर संक्रमण नियंत्रण के लिए सभी सावधानियां सुनिश्चित की गईं हैं। जहाज पर विशेष रूप से अतिरिक्त चिकित्सा स्टाफ, डॉक्टरों, हाइजीनिस्ट, पोषण विशेषज्ञ, मेडिकल स्टोर, राशन, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, फेस-मास्क आदि का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा जीवन रक्षक गियर, कोविड-19 से निपटने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा विकसित किए गए विशिष्ट चिकित्सा उपकरण भी नागरिकों की सुरक्षा के लिए शामिल किए गए हैं। गुजरात के पोरबंदर पोर्ट पर लाए गए नागरिकों को राज्य के अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा ताकि उनकी देखभाल की जा सके।

 


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