खाड़ी देशों से भारतीयों को लाने के लिए नौसेना के युद्धपोत तैयार, सरकार के आदेश का इंतजार

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नई दिल्ली, 29 अप्रैल (हि.स.)। खाड़ी देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए भारतीय नौसेना ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए नौसेना ने अपने लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक युद्धपोत आईएनएस जलाश्व और दो मागर श्रेणी के युद्धपोतों को तैयार कर रही है। अगर जरूरत पड़ने पर सरकार की मंजूरी मिली तो खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को समुुुद्री मार्ग से लाया जाएगा।
खाड़ी देशों में रह रहे भारतीयों को वापस लाने की मांग करते हुए 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। प्रवासी लीगल सेल नाम की संस्था ने दायर याचिका में कहा था कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, बहरीन, क़तर में लाखों भारतीय काम करते हैं। वे ज़्यादातर मज़दूर हैं। वे सभी वहां फंस गए हैं। इसलिए सरकार को खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को वापस स्वदेश लाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को चिकित्सा और दूसरी ज़रूरी सुविधाएं पहुंचाने की भी मांग की गई थी।
इस पर उस समय सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि अभी हालात ठीक नहीं हैं, इसलिए जो जहां है, वह फिलहाल वहीं रहे। हालात सामान्य होने पर भारत सरकार खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए उचित समय पर फैसला लेगी। माना जा रहा है कि खाड़ी देशों में फंसे लोगों को निकालने के लिए अब सरकार ने एयर इंडिया और नौसेना को योजना बनाने के लिए कहा है।
कोरोना संकट के समय भारतीय वायुसेना के जहाजों से दूसरे देशों में फंसे भारतीयों को वापस लाया जा चुका है लेकिन खाड़ी देशों में भारतीय अभी भी इंतजार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में 28 अप्रैल को भी सऊदी अरब मेंं करीब 250 से ज्यादा गर्भवती नर्सों और डॉक्टरों के फंसे होने की जानकारी दी गई है। उन्हें सऊदी अरब में कोरोना से संक्रमित होने का खतरा है। इन नर्सों और डॉक्टरों ने मार्च और अप्रैल महीने में भारत लौटने की योजना बनाई थी लेकिन सभी फ्लाइट निरस्त होने की वजह से वे सऊदी अरब में ही फंसे हुए हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार आईएनएस जलाश्व इस समय विशाखापत्तनम से बाहर है, मगर युद्धपोत पश्चिमी समुद्री तट पर खड़े हैं। युद्धपोत फिलहाल पूरी तरह तैयार हैं और उन्हें सिर्फ सरकार के आदेश का इंतजार है जिसके बाद वे खाड़ी देशों के लिए रवाना हो जाएंगे।

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