नीतीश ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठाई बिहार को विशेष राज्य का दर्जे देने की मांग

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पटना/ओडिशा, 28 फरवरी (हि.स.)। ओडिशा में चल रही पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कई राज्यों को विशेष दर्जा मिला है, इसलिए उन्होंने विकास के मामले में प्रगति की है। इसलिए पिछड़ेपन से निकल कर विकास के राष्ट्रीय औसत स्तर को प्राप्त करने के लिए बिहार और इस जैसे अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलना आवश्यक है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग करते हुए कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए ताकि हमें हमारा वाजिब हक मिल सके और बिहार भी आगे बढ़ कर देश की प्रगति में अपना योगदान दे सके।

उन्होंने कहा कि बिहार में आधारभूत संरचना की कमी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा 12वीं पंचवर्षीय योजना में विशेष योजना (बीआरजीएफ) के तहत 12000 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी। इसमें नयी परियोजनाओं के लिये 10500 करोड़ रुपये तथा पुरानी चालू योजनाओं को पूरा करने के लिए 1500 करोड़ रुपये दिए गये थे। इसमें 9987.39 करोड़ की नयी परियोजनाओं की स्वीकृति नीति आयोग द्वारा दी गयी जिसमें ऊर्जा प्रक्षेत्र की आठ परियोजनाओं के लिए 8308.67 करोड तथा पथ प्रक्षेत्र की दो परियोजना के लिए 1680.72 करोड़ रुपये थे। अभी नीति आयोग के पास 510.91 करोड रुपये के विरूद्ध 500 करोड़ रुपये की पथ प्रक्षेत्र की योजना स्वीकृति के लिए भेजी गई है जिसकी शीघ्र स्वीकृति की अपेक्षा है। साथ ही अभी भारत सरकार से 911.82 करोड़ रुपये की विमुक्ति होना शेष है। मुख्यमंत्री ने बैठक में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के माध्यम से विशेष योजना के तहत बिहार राज्य की अवशेष 911.82 करोड़ की राशि अतिशीघ्र विमुक्त करने की मांग उठाई।

शराबबंदी लागू कर परिवर्तन की रखी बुनियाद

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार राज्य में 01 अप्रैल, 2016 से शराबबंदी लागू कर सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी गयी है। हमारे राज्य की सीमा झारखंड, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल राज्य से लगती है। इसलिए एक पत्र के माध्यम से सीमावर्ती राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सहयोग एवं समन्वय का अनुरोध किया था। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के अभियान को और सुदृढ़ करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर से भी पहल की गई है। इस बावत 27 जून, 2016 को रांची में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में झारखंड एवं पश्चिम बंगाल राज्य से अनुरोध किया था कि बिहार राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब की खपत पर नजर रखी जाए और शराब की आवक बिहार राज्य में न हो सके, इसके लिए प्रशासनिक तंत्र को कड़े निर्देश दिये जायें।

 


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