मुगल बादशाह शाही अंदाज में खेलते थे होली

0

मथुरा, 25 फरवरी (हि.स.)। ब्रज की होली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसका आनन्द लेने के लिए हर साल ​देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं। कहने को भले ही ये हिन्दू पर्व है, लेकिन मुगल शासकों ने भी अपने काल में इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया। उनका शाही अंदाज में होली खेलना पूरी रियासत   को इस पर्व के उल्लास से जोड़ देता था। उनके हर शासक के समय होली का जश्न मनाया जाता था। रंगों का ये पर्व हर दौर में आम जनता से लेकर शासकों के लिए बेहद खास रहा। इसे आपसी प्रेम और सद्भाव के प्रतीक के तौर पर इतिहास में दर्ज किया गया।
शहंशाह शाहजहां के जमाने में होली को ‘ईद-ए-गुलाबी’ और ‘आब-ए-पाशी’ (रंगों की बौछार) कहा जाता था। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे। वहीं हिन्दी साहित्य में कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विस्तार से वर्णन किया गया है।
ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी बताते हैं कि मुगलकाल के चित्रकार अबुल हसन द्वारा बनाया जहांगीर के हरम में मनाए जाने वाली होली का एक चित्र ‘जहांगीर एलबम’ में लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित है। इसमें दो घड़ों में रंग भरा है। एक सुंदर नारी पिचकारी मार रही है, दूसरी सुंदरी निशाना लगाने की कोशिश कर रही है। बादशाह जहांगीर ताज पहने हैं और उनकी बेगम बगल में खड़ी हैं।
उन्होंने बताया इस तरह के प्रमाण कई पांडुलिपियों में मिलते हैं कि जहांगीर और बादशाह अकबर के दरबार में होली उल्लासपूर्वक मनाई जाती थी। अकबर का जोधाबाई के साथ और जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन इतिहास में है। अलवर संग्रहालय के एक चित्र में जहांगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है। शाहजहां के समय तक होली खेलने का मुगलिया अंदाज कुछ बदल गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *