यूनानी और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में मौजूद समानताओं पर होना चाहिए शोध : राजनाथ सिंह

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यूनानी दिवस के मौके पर आयोजित किया गया अतंरराष्ट्रीय सम्मेलन



नई दिल्ली, 11 फरवरी (हि.स.)। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तेजी से बदलते परिवेश में बीमारियों के इलाज के लिए यूनानी चिकित्सा पद्धति की अहम भूमिका होगी। यूनानी और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में काफी समानता देखी गयी है, लिहाजा इन पद्धतियों के समानता पर आयुष मंत्रालय को शोध करना चाहिए। राजनाथ सिंह मंगलवार को यूनानी दिवस के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे।
उन्होंने इस अवसर पर कहा कि हकीम अजमल खां के जन्मदिन के अवसर पर मनाए जाने वाला यूनानी दिवस उनके प्रति सच्ची अकीदत है। वे स्वतंत्रता संग्राम के सच्चे सिपाही भी थे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि 2500 साल पहले प्राचीन ग्रीस में जन्मी और वहां से पर्सिया होते हुए भारत पहुंची यूनानी चिकित्सा पद्धति का समाज में रच बस जाना इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है। हमारे देश में स्वास्थ्य और आरोग्य रहने पर प्राचीन काल से विशेष बल दिया गया है। यानि निरोगी काया सबसे बड़ी संपत्ति है। आरोग्य रहना सबसे बड़ा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि भारत का विजन हमेशा से वैश्विक रहा है। सभी सुखी हों और सभी निरोगी हो।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अच्छा स्वास्थ्य और निरोगी काया विषय पर आयोजित चर्चा का विषय महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है। इस पर शोध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हमारा देश प्रकृति, समाज, अर्थव्यवस्था सब आपस में जुड़े हैं। इन्हें अलग अलग दृष्टि से नहीं देख सकते हैं। मानसिक बीमारियों में भी आयुष की प्रणालियां कारगर हैं। आयुर्वेद पद्धति में पांच तत्व को महत्व दिया जाता है और यूनानी में भी आकाश को छोड़कर सभी तत्वों पर जोर रहा है। इन सभी अलग अलग प्रणालियों से मिल कर बनी यूनानी चिकित्सा पद्धति गैर संचारी रोगों की रोकथाम करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। विशेषकर आज के लाइफ स्टाइल के कारण उत्पन्न होती बीमारियों के इलाज में यानूनी चिकित्सा पद्धति कारगर साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति अपने आप में अलग है और स्वास्थ्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें यूनानी दवाएं विशेष रूप से कारगर है जो पौधों और मिनरल से प्राप्त की जाती है, इसलिए सुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा कि आज जिस गति से एंटीबॉयोटिक्स का प्रयोग बढ़ा है। इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की कमी के मामले भी बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में आयुष प्रणाली काफी उपयोगी साबित हो सकता है। यूनानी पद्धति से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाएं भी मौजूद हैं और उनके उचित प्रयोग करके तरह तरह के रोगों से बचा जा सकता है।

 


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