संघ की क्षेत्रीय समन्‍वय बैठक में जातिगत विषमता के खात्मे पर जोर

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व्यक्तिगत जीवन को मिसाल बनाकर तैयार करें सामाजिक समरसता का वातावरण: डॉ. मोहन भागवत भारतीय परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने के प्रयासों पर हुई चर्चा



भोपाल, 05 फरवरी (हि.स.)। कार्यकर्ता अपने व्यक्तिगत जीवन को उदाहारण बनाकर सामाजिक समरसता का वातावरण तैयार करने का प्रयास करें। संघ संस्कारों से युक्त परिवारों के माध्यम से समाज व्यवस्था का परिवर्तन कर भारतीय मूल्यों से युक्त अनुशासित समाज का निर्माण करने में अपना सहयोग दें। संगठन को परिवार की तरह विकसित करें एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए ध्येयनिष्ट व्यक्तित्व विकसित करें।
यह बातें मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विविध संगठनों की चल रही क्षेत्रीय समन्वय बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को कही। उन्‍होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि परिवार भारतीय समाज की मूल इकाई है। सामाजिक परिवर्तन के लिए परिवारों में भारतीय मूल्यों की स्थापना आवश्यक है। वर्ष 2019 में ग्वालियर में आयोजित संघ की सर्वोच्च बैठक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भी कुटुंब प्रबोधन पर प्रतिवेदन पारित किया गया था। इस प्रतिवेदन में भारतीय पारिवार व्यवस्था के संरक्षण एवं विकास पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता बताई गयी थी।
बैठक में उक्त विषय पर अब तक हुए कार्यों के विभिन्न संगठनों  द्वारा वृत्त प्रस्तुत किये गए। इस दौरान राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. भागवत ने इससे जुड़े विविध संगठनों के कार्यों की समीक्षा की एवं योजना के विस्तार के लिए विभिन्न बिन्दुओं पर भी पदाधिकारियों से संगठनश: चर्चा की। इसके अलावा इस समन्वय बैठक में महिलाओं एवं युवाओं के माध्यम से अपने सामाजिक जीवन मूल्यों को स्थापित कर एक सादगी एवं सुचिता से जातिगत विषमता समाप्त कर सामाजिक समरसता युक्त समाज का निर्माण करने की संघ की योजना पर विस्‍तार से बातचीत हुई है। साथ ही  गत वर्ष किये गए प्रयासों की समीक्षा भी की गयी।
उल्‍लेखनीय है कि राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले कई वर्षों से मध्‍यक्षेत्र यानी कि संघ की नजर में उसके बनाए गए प्रांत (मध्‍यभारत, मालवा, महाकौशल एवं छत्‍तीसगढ़) में कुटुंब प्रबोधन के कार्य के लिए विशेष प्रयास कर रहा है। इसमें मध्यक्षेत्र के सभी प्रान्तों में कुटुंब प्रबोधन के अंतर्गत विविध संगठनो में काम करने वाली महिलाओं के बीच समन्वय का कार्य किया जा रहा है । दंपत्ति कार्यकर्ताओं के माध्यम से भारतीय मूल्यों से युक्त आदर्श परिवारों के निर्माण के प्रयास किये जा रहे हैं।
इस संबंध में संघ से जुड़े अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि कुटुम्‍ब प्रबोधन के माध्‍यम से ‘एक आदर्श परिवार कैसा हो विषय’ पर कार्यकर्ताओं द्वारा उनके समाज में प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इनमें विभिन्न आयुवर्ग के सदस्यों के बीच संवाद एवं निश्चित समय पर परिवार के सभी सदस्यों के साथ समय बिताने जैसे विषयों पर चर्चा की जाती है। अपने अनुभव साझा करने के लिए वर्ष में एक बार सभी परिवारों का मिलन भी आयोजित किया जाता है। संघ का इसके माध्‍यम से मुख्‍य उद्देश्‍य यही है जो कि आज सरसंघचालक श्री भागवतजी ने कहा है कि व्यक्तिगत जीवन को उदाहारण बनाकर सामाजिक समरसता का वातावरण बनाना और भारतवर्ष से जातिगत विषमता को समाप्‍त करना है।

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