फर्रुखाबाद, 02 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में 23 बच्चों को बंधक बनाने वाले दंपत्ति के शवों को परिजनों ने न ही कंधा दिया और न ही मुखाग्नि दी। इस पर पुलिस को इनका अंतिम संस्कार करना पड़ा। मोहम्मदाबाद के कोतवाल ने रविवार को लाइटर से दोनों को मुखाग्नि दी। इस दौरान पति-पत्नी की एक साथ जल रही जल रही चिंताओं को देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई।
मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के गांव करथिया निवासी सुभाष बाथम और उसकी पत्नी रूबी ने गुरुवार को गांव के ही 23 बच्चों को अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने बुलाकर घर के अंदर बने तहखाने में बंधक बना लिया था। बच्चों को मुक्त कराने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन मासूम’ के दौरान सुभाष बाथम ने बम ब्लास्ट करके कई पुलिस कर्मियों को घायल कर दिया। नतीजतन 11 घंटे बाद पुलिस ने सुभाष बाथम को मार गिराया और सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इस दौरान वहां उमड़ी भीड़ ने सुभाष बाथम की पत्नी रूबी को पीट-पीटकर मार डाला। दोनों के शवों को पोस्टमार्टम के बाद लेने के लिए ना ही परिजन तैयार हुए और ना ही कोई गांव वाला अंतिम संस्कार करने को तैयार हुआ।
इस पर मजबूरन पुलिस को खुद ही अंतिम संस्कार करने का फैसला लेना पड़ा। पुलिस एक गाड़ी में दोनों शव लेकर सीधे गंगा तट के पांचाल घाट पर पहुंची। इस तरह इनके शवों को किसी ने कंधा दिया। मोहम्मदाबाद पुलिस ने गंगा तट के पांचाल घाट पर रविवार को दंपत्ति के शवों का अंतिम संस्कार कर दिया। कोतवाल राकेश कुमार ने सिगरेट पीने वाले लाइटर से शव को मुखाग्नि दी। पति-पत्नी की एक साथ जल रही चिता को देखने के लिए वहां भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। इस दौरान दर्शक तरह तरह की टिप्पणी करते नजर आए। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।