एनआरपी की तर्ज पर कारोबारियों का जनसंख्‍या रिजस्‍टर बनाएगा कैट, एक मार्च से शुरू होगा अभियान

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एक मार्च से 30 सितम्बर तक चलेगा अभियान



नई दिल्‍ली,  29  जनवरी (हि.स.)। नेशनल पॉपुलेशन रजिस्‍टर (एनआरपी) की तर्ज पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) देशभर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के व्यापारियों एवं उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों का एक डेटा बेस तैयार करेगा। कैट ऐसा इसलिए करेगा, ताकि देशभर के व्यापारियों की बुनियादी समस्याओं को बेहतर तरीके से सरकार के सामने रखा जाए और सरकार उस डेटा बेस के आधार पर व्यापारी वर्ग के लिए नीतियां बना सके।

कैट ने ये अभियान केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के उस सुझाव पर तैयार करने का निर्णय लिया है,  जो उन्होंने 27 जनवरी को यहां कैट द्वारा आयोजित एक व्यापारी सम्मेलन में दिया था। इसकी जानकारी कैट के राष्‍ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बुधवार को दी। कैट ने माना है कि गोयल का सुझाव बेहद तार्किक है और देश के खुदरा व्यापार के लिए केंद्र एवं अन्य राज्यों में सरकारों से सुविधाओं के अधिकार को मांगने एवं व्यापार के लिए समर्थन नीति बनवाने में इस डेटा का बहुत महत्व होगा।

प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि एनएसएसओ के एक सर्वे के मुताबिक देश में लगभग सात करोड़ छोटे व्यवसाय हैं, जो लगभग 45 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। ये प्रतिवर्ष लगभग 45 लाख करोड़ रुपये का व्यापार करते हैं। उन्‍होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के इतने महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए आज तक किसी भी सरकार ने डेटा तैयार करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्‍होंने कहा कि रिटेल सेक्टर से जुड़े सभी अन्य वर्गों के लिए अलग से नीति है और मंत्रालय भी है, लेकिन खुदरा व्यापार के लिए न कोई नीति है और न ही कोई मंत्रालय है। खंडेलवाल ने कहा कि इस डेटा बेस के तैयार होने के बाद कैट बेहद मजबूती से अलग रूप से एक मंत्रालय गठित करने की मांग करेगा।

एक मार्च से 30 सितम्बर तक चलेगा अभियान

खंडेलवाल ने बताया कि कैट का यह राष्ट्रीय ‘व्यापारी जनसंख्या अभियान’ एक मार्च 2020 से शुरू होगा और 30 सितम्बर 2020 तक देशभर में चलेगा। कैट व्यापारियों के विवरण को एकत्र करने के लिए एक मोबाइल ऐप बनाएगा, जिसके जरिए  देशभर के व्यापारी अपने विवरण को उसमें दर्ज करा सकेंगे। यह अभियान देशभर में फैले 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों की मदद से चलाया जाएगा। उन्‍होंने बाताया कि इस डेटा में व्यापारी प्रतिष्ठान का नाम, मालिक का नाम, परिवार में कितने लोग हैं, पता, फोन नम्‍बर, मोबाइल नम्‍बर, किस वस्तु का व्यापार है,वेबसाइट एवं ई-मेल एड्रेस, कितने कर्मचारी काम करते हैं और कितने लोग उनके परिवार में हैं आदि विवरण मांगा जाएगा।

खंडेलवाल ने कहा कि यह सारा डेटा बेहद ही गोपनीय रहेगा और आवश्यकतानुसार कैट इसका इस्तेमाल कर सकेगा। इस प्रकार के डेटा से जहां देशभर में कुल कितने व्यापारी हैं, जो कितने लोगों को रोजगार देते हैं। साथ ही वे कितने का कारोबार करते हैं। वहीं, वे  किस वस्तु का देश भर में कितने व्यापारी कारोबार में संलग्न हैं आदि का पूरा डेटा रहेगा। उन्‍होंने बताया कि कैट मोबाइल ऐप के अलावा देश के विभिन्न शहरों में डेटा एकत्र करने के लिए बड़ी संख्यां में लोगों को भी नियुक्त करेगा।

 


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