देश में सिर्फ 13 प्रतिशत महिलाएं कर रहीं गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल
लखनऊ, 28 जनवरी (हि.स.)। बढ़ती आबादी विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है, इसलिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन को धरातल पर सफल बनाना जरूरी है। इसके लिए नवदंपति को केन्द्र में रखकर काम करने की दरकार है।
यह बात मंगलवार को प्रदेश में कम बच्चों वाले युवा जोड़ों (वाईएलपीसी) के लिए अंतराल विधियों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि, विशेषज्ञों की अहम चर्चा के दौरान निकलकर सामने आयी। इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को मिस्र और बंग्लादेश की तर्ज पर परिवार नियोजन पर काम करना होगा, क्योंकि आज देश में सिर्फ 13 प्रतिशत महिलाएं ही गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि प्रजनन दर में कमी जरूर दर्ज की गई है।
सिर्फ जनसंख्या का हवाला देकर नवदंपतियों को नहीं समझाया जा सकता
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि परिवार नियोजन की सफलता के लिए सभी विभागों की भागीदारी जरूरी है। नवदंपति को जानकारी देने के लिए और काउंसलर बढ़ाए जाएंगे। बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ‘ममता’ की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि नवदंपति को सिर्फ यह कहकर नहीं समझाया जा सकता कि देश की जनसंख्या बढ़ रही है। उससे ज्यादा यह कहना बेहतर है कि परिवार नियोजन करने से उसकी पत्नी और बच्चा सेहतमंद रहेगा। परिवार में समृद्धि आएगी और परिवार खुशहाल होगा।
सेक्स शिक्षा पर बात जरूरी, पर बतौर मंत्री नहीं कह सकता
जय प्रताप ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लगातार अपने कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि इससे मातृ व बाल मृत्यु दर में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन की सफलता के लिए नवयुवक-युवतियों के बीच सेक्स शिक्षा पर बात होनी चाहिए लेकिन मैं बतौर मंत्री इसे नहीं कह सकता।
शादी से पहले काउंसिलिंग पर जोर
महिला कल्याण राज्य मंत्री स्वाती सिंह ने शादी से पहले काउंसिलिंग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज हम सब से मिलकर बना है। लिहाजा काउंसिलिंग लड़का-लड़की दोनों की होनी चाहिए। स्वाती ने आगे कहा कि बदलाव अपने परिवार या आसपास से शुरू करें। तभी देश-प्रदेश में बदलाव दिखेगा।
अधिकांश दंपति गर्भ निरोधक तरीकों से वाकिफ नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जेनेवा दफ्तर से आए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.चंद्रमौली ने कहा कि ज्यादातर दंपति गर्भ निरोधक तरीकों से वाकिफ नहीं हैं। वे कहते तो हैं कि उन्हें पता है लेकिन हकीकत में ज्यादातर को पता नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हमें नवदंपति पर काम करने की जरूरत है।
2015-16 में घटकर 2.7 हुई प्रजनन दर
डॉ. चंद्रमौली ने कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक भारत में सिर्फ 13 प्रतिशत महिलाएं ही गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने मिस्र और बंग्लादेश की मिसाल देते हुए कहा कि दोनों देशों में परिवार नियोजन पर बेहतरीन काम हुआ है। भारत में भी अगर सरकार, प्राइवेट प्लेयर को अभियान में जोड़ सके तो ऐसी कामयाबी मिल सकती है। डॉ. चंद्रमौली ने कहा कि भारत में हालांकि प्रजनन दर घटी है लेकिन अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2005-06 में प्रजनन दर 3.8 थी तो 2015-16 में घटकर 2.7 रह गई है। यह अच्छे संकेत हैं।
नवदंपति और नवयुवकों की काउंसिलिंग हो केन्द्र बिंदु
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ देवेंद्र ने कहा कि हमारा फोकस नवदंपति और नवयुवकों की काउंसिलिंग पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि परंपरागत तरीके का प्रचार नवयुवकों पर काम नहीं करने वाला। उनसे नए तरीकों से बात करनी होगी।
‘मेरी जिंदगी राकबैंड’ ने दी प्रस्तुति
कार्यक्रम में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और कई जिलों से आए लाभार्थियों ने परिवार नियोजन पर अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन के दौरान ‘मेरी जिंदगी राकबैंड’ की प्रस्तुति भी हुई। एनएचएम के निदेशक डॉ. विजय विश्वास पंत, परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. बद्री विशाल, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान ममता के कार्यकारी निदेशक डॉ. सुनील मेहरा ने कार्यशाला की मेजबानी की।