वित्त वर्ष 2018-19 में भाजपा ने 2,410 और कांग्रेस ने 918 करोड़ रुपये जुटाए : एडीआर

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नई दिल्ली, 16 जनवरी (हि.स.)। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के विश्लेषण के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 2,410 करोड़ रुपये दान से जुटाये । इनमें से चुनावी बांड के माध्यम से दान में 1,450.8 करोड़ रुपये जुटाये गए।

देश की दूसरी सबसे बड़ी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस दौरान कुल 918 करोड़ रुपये जुटाए। इसमें से 383.2 करोड़ रुपये चुनावी बांड के जरिए आए। इलेक्टोरल बॉन्ड एक ऋण साधन है जिसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चुनिंदा शाखाओं से खरीदा जा सकता है और राजनीतिक दलों को दान दिया जा सकता है।

रिपोर्ट बताती है कि छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में से – केवल भाजपा, कांग्रेस और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने “चुनावी बांड के माध्यम से योगदान से आय प्राप्त करने की घोषणा की है। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कुल इन तीनों पार्टियों ने चुनावी बांड के जरिये कुल 1,931.43 करोड़ जुटाये हैं। तृणमूल कांग्रेस को 97.2 करोड़ रुपये के चुनावी बांड के माध्यम से दान मिला। जबकि पार्टी ने कुल 192.6 करोड़ रुपये की आय घोषित की है।

इसी अवधि के दौरान, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कुल 100.9 करोड़ रुपये और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने 69.7 करोड़ रुपये की घोषणा की। रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2017-18 में भाजपा की आय 1,027.3 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 2,410 करोड़ रुपये हो गई। जबकि कांग्रेस की आय भी 199.1 करोड़ रुपये से बढ़कर 918 करोड़ रुपये पहुंच गई है।

आमदनी का जरिया

भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई (एम) और सीपीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 में दान / योगदान से अपनी उच्चतम आय प्राप्त करने की घोषणा की। भाजपा ने 2,354 करोड़ रुपये का ‘स्वैच्छिक योगदान’ घोषित किया – जो कि उसकी कुल आय का लगभग 97.6 प्रतिशत है। बीएसपी और सीपीआई (एम) को बैंक हितों (लगभग 38.8 करोड़ रुपये), और शुल्क और सदस्यता (लगभग 39.6 करोड़ रुपये) के माध्यम से उच्चतम आय प्राप्त हुई ।

दोनों मुख्य राष्ट्रीय पार्टी का मुख्य व्यय

वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भाजपा का अधिकतम खर्च चुनाव अभियानों की ओर था। इसने 792.3 करोड़ रुपये प्रशासनिक लागत (178.3 करोड़ रुपये) दूसरा सबसे बड़ा खर्च था। कांग्रेस ने भी बड़े पैमाने पर चुनावी खर्च (लगभग 308.9 करोड़ रुपये) खर्च किए, इसके बाद सामान्य खर्च 125.8 करोड़ रुपये रहा।

 


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