मुलायम ने मैनपुरी से की थी केन्द्रीय राजनीति की शुरुआत

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लखनऊ, 01 अप्रैल (हि.स.)। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनावी मैदान में उतरने के ऐलान के बाद सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया। मुलायम सिंह ने 1996 में पहली बार मैनपुरी से लोकसभा चुनाव का चुनाव लड़ा था और जीत कर अपनी केन्द्रीय राजनीति की शुरुआत की थी। इससे पहले यहां से जनता पार्टी के उदय प्रताप सिंह सांसद थे, जो पहले जनता दल से भी सांसद चुने गए थे।
मैनपुरी से चार बार सांसद रहे हैं मुलायम
मुलायम सिंह पहली बार मैनपुरी से 1996 में सांसद बने तब से लेकर आज तक मैनपुरी सीट सपा के कब्जे में है। मुलायम सिंह मैनपुरी से चार बार सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2014 में भी मुलायम सिंह मैनपुरी और आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीते लेकिन बाद में मुलायम ने मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में सपा के तेज प्रताप यादव जीतकर संसद पहुंचे। इस सीट पर पांच बार कांग्रेस, एक बार प्रजा सोसलिस्ट पार्टी, एक बार लोकदल, एक बार जनता दल और दो बार जनता पार्टी का कब्जा रहा।
भाजपा ने अभी तक नहीं घोषित किया उम्मीदवार
मुलायम सिंह मैनपुरी से नामांकन दाखिल कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन है। इसलिए बसपा और रालोद वहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। कांग्रेस ने भी घोषणा की है कि वह मुलायम सिंह के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। भाजपा का अपने उम्मीदवार को लेकर अभी भी संशय बरकरार है। भाजपा का एक धड़ा यह कह रहा है कि अगर उम्मीदवार नहीं उतारा गया तो गलत संदेश जाएगा। भाजपा का एक वर्ग यह कह रहा है कि मुलायम के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का लाभ भाजपा को प्रदेशभर में मिलेगा। उत्तर प्रदेश में सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को लेकर यादव मतदाता पहले से ही असमंजस में हैं। ऐसे में मुलायम के खिलाफ उम्मीदवार ना उतारने से यादव मतदाताओं का झुकाव भाजपा की तरफ हो सकता है।
भाजपा उम्मीदवार उतारेगी या नहीं, यह अभी तक तय नहीं हो पाया है। हालांकि विधायक ममतेश शाक्य और पूर्व भाजपा विधायक नरेन्द्र ठाकुर मैनपुरी से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं।
चुनावी रण के योद्धा रहे हैं मुलायम
मुलायम सिंह यादव चुनावी रण के योद्धा रहे हैं। वर्ष 1996 के बाद लगातार कई बार उन्होंने जीत दर्ज की। वर्ष 1996-1998 के बीच वे रक्षा मंत्री रहे। एचडी देवगौड़ा की अगुवाई वाली इस गठबंधन सरकार में मुलायम सिंह प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन ऐन मौके पर लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। उसके बाद ही देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने लेकिन यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली। इसके बाद 1998 में चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल सीट से मैदान में उतरे और जीत हासिल की। वर्ष 1999 में फिर चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट से जीते। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी, जहां हुए उपचुनाव में वो पहली बार सांसद बने।
इसके बाद 2004, 2009 व 2014 का लोकसभा चुनाव भी मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से जीता लेकिन दो-दो सीटों पर जीतने के चलते उन्होंने 2004 व 2014 में मैनपुरी सीट खाली कर दी। इसके बाद 2004 में हुए उपचुनाव में मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव ने यहां से जीत हासिल की।
इस बार के आम चुनाव में मुलायम हर बार की तरह दो सीटों पर ना लड़ कर एक ही सीट से लड़ रहे हैं।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ विजय राठी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव देश के सर्वमान्य नेता हैं। यही कारण है कि उनके खिलाफ खड़ा करने के लिए विरोधियों को उम्मीदवार खोजे नहीं मिल रहे हैं।


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