जेट एयरवेज को लेकर बोले विजय माल्या, कहा-किंगफिशर एयरलाइन्स मामले में मेरे साथ पक्षपात हुआ
लंदन/नई दिल्ली, 26 मार्च (हि.स.)। निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के मामले में किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक रहे भगौड़े कारोबारी विजय माल्या ने बयान दिया है। माल्या ने आरोप लगाया है कि जेट एयरवेज को लेकर मौजूदा सरकार के रवैये को देखते हुए लगता है कि किंगफिशर एयरलाइन्स मामले में मेरे साथ पक्षपात हुआ है। एक ओर जहां जेट एयरवेज को बचाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सामने आए हैं, किंगफिशर मामले में हमें किसी भी प्रकार की मदद नहीं की गई। इतना ही नहीं मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि मुझसे सरकार बकाया ले सकती है और जेट एयरवेज को बचा सकती है।
सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हुए माल्या ने कहा कि मुझे ये जानकर खुशी हो रही है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज, उसके कर्मचारियों की नौकरियां, आम लोगों के तकलीफों से बचाने के लिए आगे आई हैं। काश ऐसा किंगफिशर के मामले में भी किया जाता। माल्या ने लिखा कि मैंने अपनी सारी नकद परिसंपत्तियां कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष रख दी हैं, जिसके द्वारा अदालत सभी पीएसयू बैंक और दूसरे देनदारों को बकाया चुका सकती है लेकिन बैंक मुझसे पैसा नहीं ले रहे। यदि बैंक मुझसे बकाया ले ले तो वे जेट एयरवेज को बचा सकते हैं।
जेट एयरवेज पर क्यों बोला माल्या:
दरअसल सोमवार को निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल ने कंपनी के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया। नरेश गोयल ने 1993 में जेट एयरवेज की स्थापना की थी। नरेश और उनकी पत्नी कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल थे। जेट एयरवेज पर करीब एक अरब डॉलर का कर्ज है। करीब एक अरब डॉलर के कर्ज से जूझ रही जेट एयरवेज के पास एयरलाइंस ऑपरेशन के लिए वित्तीय संसाधन कम पड़ते जा रहे थे। इसके कारण जेट एयरवेज को अपने हवाई उड़ानें रद्द करनी पड़ रही थी। वहीं एयरलाइन के पायलट समय पर सैलरी नहीं मिलने के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिख चुके हैं।
ऐसा नहीं है कि जेट एयरवेज इस तरह के वित्तीय संकट से पहली बार जूझ रही है। इससे पहले जेट एयरवेज साल 2013 में भी इस तरह के वित्तीय संकट से दो-चार हो चुकी है। उस समय बड़ी संख्या में जेट पायलट और कर्मचारियों ने सैलरी वाले मामले पर लगातार प्रदर्शन किए थे लेकिन 2013 में अबू धाबी की एतिहाद एयरवेज ने जेट में हिस्सेदारी खरीद कर कंपनी को संकट से उबारा था। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, एसबीआई और पीएनबी भी जेट एयरवेज को कर्ज देने वालों में हैं।