कैराना में हुकुम परिवार की सियासत पर भाजपा ने लगाया ब्रेक
मेरठ, 25 मार्च (हि.स.)। कैराना पलायन का मुद्दा उठाकर देशभर में चर्चित होने वाले दिवंगत भाजपा सांसद हुकुम सिंह के परिवार की सियासत पर पार्टी ने फिलहाल ब्रेक लगा दिया है। उधर, हुकुम परिवार का प्रतिद्वंद्वी हसन परिवार इस लोकसभा चुनाव में भी ताल ठोंक रहा है। भाजपा ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका का टिकट काटकर गंगोह के विधायक प्रदीप चौधरी पर दांव खेला है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हुकुम सिंह का परिवार एक बड़ा मुकाम रखता था। हुकुम सिंह पहले कांग्रेस और बाद में भाजपा से कैराना से सात बार विधायक और एक बार सांसद चुन गए थे। 1974 से लेकर 2014 के लोकसभा चुनावों तक हुकुम सिंह के चुनाव लड़ने का सिलसिला जारी रहा। उनके निधन के बाद भाजपा ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को कैराना लोकसभा का उपचुनाव लड़ाया लेकिन वह गठबंधन उम्मीदवार तबस्सुम हसन से हार गईं। इससे पहले वह 2017 का कैराना विधानसभा चुनाव भी हार चुकी थीं। दो चुनाव लगातार हारने के बाद पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में मृगांका सिंह का टिकट काटकर गंगोह के विधायक प्रदीप चौधरी पर दांव खेला है।
चर्चित रहे हैं हुकुम और हसन परिवार
मुजफ्फरनगर और शामली जनपद की राजनीति में दिवंगत हुकुम सिंह और शौकत हसन परिवार की तूती बोलती रही है। पूर्व सांसद स्व. शौकत हसन के बाद उनके बेटे मुनव्वर हसन के इर्द-गिर्द मुस्लिम राजनीति घूमती रही। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी तबस्सुम सांसद और बेटा नाहिद हसन कैराना से विधायक चुने गए। इसी तरह कैराना विधानसभा सीट पर हुकुम सिंह का एकछत्र राज रहा।
भाजपा में हुकुम सिंह का था अहम स्थान
हुकुम सिंह की पहचान भाजपा के कद्दावर नेताओं में थी। आरक्षण का बंटवारा करने के लिए राजनाथ सिंह सरकार में बनी अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष हुकुम सिंह बनाए गए थे। समिति ने ही दलित और पिछड़ों में आरक्षण का बंटवारा करने की रिपोर्ट तैयार की थी। वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। कैराना से हिन्दुओं के पलायन का मुद्दा उठाकर वह देशभर में चर्चित हुए थे।