शुरुआत में ही सतर्कता बरतने पर टीबी से मिल सकती है निजात
वाराणसी, 23 मार्च (हि.स.)। टीबी एक संक्रामक रोग है। इसका पूरा नाम ‘ट्यूबरकुल बेसिलाई’ है। यह रोग व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। इस रोग को प्रारंभिक अवस्था में ही रोक लेने पर रोगी को रोग से निजात मिल सकती है। दुनिया भर में टीबी रोग से मरीजों को मुक्त करने के लिए वर्ष 2030 का लक्ष्य रखा गया है। वहीं भारत में 2025 और वाराणसी में 2022 तक इस बीमारी से मुक्त हो जाने का लक्ष्य रखा है।
जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. राकेश कुमार सिंह ने शनिवार को बताया कि टीबी के फैलने का एक मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों का सचेत ना होना और इसे शुरूआती दौर में गंभीरता से नहीं लेना है।
टीबी जैसी समस्या के विषय में और इससे बचने के उपायों के विषय में बात करने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस, विश्व तपेदिक दिवस या विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व टीबी दिवस का विषय ‘इट्स टाइम’ यानि ‘यह समय है’ निर्धारित किया गया है जिसका उद्देश्य इस बीमारी की रोकथाम और उपचार तक पहुंच बनाना, जवाबदेही का निर्माण करना, अनुसंधान के लिए पर्याप्त और स्थायी वित्तपोषण सुनिश्चित करना, कलंक और भेदभाव को खत्म करने को बढ़ावा देना और लोगों को एक न्यायसंगत, अधिकार-आधारित और प्रतिक्रिया को बढ़ावा देना है।
उन्होंने बताया कि वाराणसी जनपद को टीबी मुक्त कराने के लिए एक खास मुहिम जारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एचओ) ने एक संयुक्त पहल शुरू की है। उन्होंने बताया कि जिला क्षयरोग केंद्र में 2017 में 5,032 टीबी के मरीज देखे गए। वहीं 2018 में 7,762 मरीज और 15 मार्च 2019 तक 1,571 मरीज नोटिफाईड किए गए। उन्होंने बताया कि 2017 से 18 मार्च 2019 तक 3,652 टीबी के मरीजों का इलाज पूरा किया गया, तो वहीं 1,685 का इलाज पूरा करते हुये ठीक किया जा चुका है।