अयोध्या मामले में अकाट्य प्रमाण मौजूद होने के बावजूद वार्ता की कोई आवश्यकता नहीं : विहिप

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नई दिल्ली, 08 मार्च (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने शुक्रवार को अयोध्या मामले को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने के सुप्रीम कोर्ट के कदम पर कहा कि वार्ता का इतिहास और अनुभव अच्छा नहीं रहा है। विहिप का स्पष्ट मत है कि अकाट्य प्रमाण मौजूद होने के बावजूद वार्ता की कोई आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मध्यस्थता के लिए रिटायर्ड जज जस्टिस एसएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पांचू को मध्यस्थ नियुक्त किया है। इस प्रक्रिया को गुप्त तरीके से आठ हफ्ते में पूरा करना होगा।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हालांकि वार्ता का इतिहास और अनुभव अच्छा नहीं रहा है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जब साक्ष्य और सबूत मौजूद हैं तो ऐसे में वार्ता की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा कि अकाट्य प्रमाण मौजूद होने के बावजूद वार्ता संशय खड़ा करती है।
बंसल ने कहा कि 2017 में अनुवादित दस्तावेज दायर किए गए थे, उन्हें पढ़ा तक नहीं गया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग मामले को लटकाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ऐसे तत्वों पर नजर रखे और तुरन्त समाधान की दिशा में कदम उठाए।


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