5 सालों में बदला फरीदाबाद लोकसभा का परिदृश्य, कईयों ने दल बदले तो कईयों ने बनाई राजनीति से दूरी

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फरीदाबाद, 04 मार्च (हि.स.)। भाजपा सरकार के 5 साल लगभग पूरे होने वाले हैं। पूरे देश में चुनावी माहौल अपने पूरे शबाब पर है। बस केवल चुनाव आयोग की औपचारिक घोषणा होना बाकि रह गई है। बताया जा रहा है कि अप्रैल में लोकसभा चुनाव कराए जाने हैं। पूरे देश के साथ-साथ फरीदाबाद में भी चुनावी रंग चढ़ चुका है। आरोपों और प्रत्यारोपों का दौर शुरु हो चुका है। विपक्षी जहां स्थानीय सांसद की कमियां गिनाने में लगे हुए हैं वहीं सांसद सहित भाजपा कार्यकर्ता सांसद द्वारा कराए गए कार्याे का ढिढौरा पीट रहे हैं। फरीदाबाद लोकसभा की बात करें तो वर्ष 2014 के चुनाव में कुल 26 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। इनमें भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर 6,52,516 वोट लेकर अपने निकटतम कांग्रेस उम्मीदवार से 4,66,873 मतों से जीते थे, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना को सिर्फ 1,85,643 मत ही मिले थे। हालांकि इतनी बड़ी जीत का श्रेय लोग सांसद कृष्णपाल गुर्जर को न देकर मोदी लहर का असर बता रहे हैं। जबकि हामिद खान, नानकचंद, क्षेत्रपाल, खेमी ठाकुर, मोहम्मद मुखी, रविन्द्र भाटी, संजय मौर्या, सुखबीर, कमल चंद आर्या, निर्मला, चौ. दयाचंद, खुशदिल सहगल, धर्मेन्द्र रावत, लक्ष्मण, महेंद्र सिंह मान, कुसुम कुमारी, सुशीला, दीपक गौड़, मुकेश कुमार सिंह, ललित मित्तल, विजय राज ने भी चुनाव लड़ा। इन उम्मीदवारों को 2762 से लेकर 407 वोट मिले, जबकि नोटा को 3334 मत मिले थे। मजेदार बात तो यह है कि यदि पांच उम्मीदवारों को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी उम्मीदवार नोटा से भी नीचे रहे। उन्हें नोटा से भी कम वोट मिले। आशंका है कि अप्रैल में संभावित चुनाव में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से अधिकांश प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवार चेहरे बदल सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से कृष्णपाल गुर्जर जहां मोदी सरकार में बतौर राज्यमंत्री फरीदाबाद-पलवल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं वहीं अन्य प्रत्याशियों की दिशा बदल चुकी है। कांग्रेस से हारे प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना भाजपा में शामिल होकर यूपी के मीरापुर से विधायक बने और हाल ही में वह पुन: कांग्रेस में शामिल होकर फरीदाबाद से अपनी पुख्ता दावेदारी जता रहे है। वहीं इनेलो के प्रत्याशी रहे आर.के. आनंद 2014 के चुनाव के बाद से ही चुनावी रण से बाहर हो गए थे और राज्यसभा में पहुंचने के असफल प्रयास के बाद वह इनेलो से भी जुड़े नहीं दिखते। बसपा प्रत्याशी राजेंद्र शर्मा कांग्रेस में शामिल होकर अशोक तंवर की टीम में काम कर रहे है वहीं आप पार्टी से पुरुषोत्तम डागर ने राजनीति से किनारा कर लिया है और अब वह अपना कारोबार संभाल रहे हैं। पुरुषोत्तम डागर को पिछले लोकसभा चुनाव में 67437 मत हासिल हुए थे। 2019 के चुनावों पर चर्चा करें तो सभी राजनीतिक दलों में संसदीय चुनाव को लेकर गहमा-गहमी शुरु हो चुकी है। भाजपा से कृष्णपाल गुर्जर की टिकट पर अभी फिलहाल कोई संशय नजर नहीं आ रहा। वैसे भी अवतार सिंह भड़ाना के कांग्रेस में शामिल होने के बाद ये संशय पूरी तरह से खत्म हो गया क्योंकि वह अक्सर यहां से चुनाव लडऩे की बात करते थे, अब स्पष्ट है कि वह कांग्रेस से कृष्णपाल गुर्जर के समक्ष अपनी चुनावी ताल ठोंकेंगे। वहीं भाजपा के पूर्व सांसद रहे स्व. रामचंद्र बैंदा के सुपुत्र दयानंद बैंदा भी चुनाव आते ही सक्रिय नजर आ रहे हैं। शहर में उन्होंने चारों तरफ अपने होर्डिंग लगवा दिए हैं। इससे चर्चा है कि दयानंद बैंदा भी भाजपा से टिकट की दावेदारी पेश करेंगे। अब कांग्रेस की बात करें तो टिकट के लिए पलवल के विधायक करण सिंह दलाल और फरीदाबाद से पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप का नाम चर्चा में चल रहा था परंतु अवतार भड़ाना के कांग्रेस में आने के बाद इन दोनों की दावेदारी कमजोर हो गई है। हालांकि अवतार सिंह भड़ाना के भाई पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना भी फरीदाबाद संसदीय सीट से चुनाव लडऩे के इच्छुक है और उनके पुत्र मनमोहन भड़ाना ने हाल ही में रणदीप सुरजेवाला की रैली भी आयोजित की थी परंतु उनमें अभी अनुभव की काफी कमी है। जबकि बसपा से फिलहाल मनधीर सिंह मान का ही नाम चर्चा में चल रहा है। वैसे भी बसपा उम्मीदवार हमेशा पैराशूट से ही आते हैं, जबकि इनेलो व आप ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले है। जजपा से पूर्व मंत्री हर्ष कुमार फरीदाबाद लोकसभा से अपनी दावेदारी जता रहे है परंतु उनकी दावेदारी कितनी मजबूत है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। राजनैतिक विश्लेषक सुभाष शर्मा की माने तो वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर का कांग्रेस के विधायक करण दलाल ने खुलकर साथ दिया था क्योंकि वह सीधे तौर पर कांग्रेस के उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना से नाराज थे। अगर इस बार की यह मान लिया जाए कि भाजपा से टिकट कृष्णपाल गुर्जर और कांग्रेस से टिकट अवतार सिंह भड़ाना लेकर आते हैं तो करण दलाल का बहुत बड़ा रोल इस लोकसभा चुनाव में रहेगा। क्या वह दोबारा कृष्णपाल गुर्जर का साथ देंगे? या फिर अवतार सिंह भड़ाना इन्हें मनाने में कामयाब हो जाएंगे? इसके अलावा यदि कांग्रेस से टिकट करण दलाल स्वयं या महेंद्र प्रताप लेकर आए और दोनों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो कृष्णपाल गुर्जर के लिए इस बार राह आसान नहीं होगी क्योंकि पलवल क्षेत्र में करण दलाल की अच्छी पकड़ है। इसके अलावा पिछले चुनावों में कृष्णपाल के अजीज दोस्त व वर्तमान में फरीदाबाद विधानसभा से विधायक व हरियाणा के उद्योगमंत्री विपुल गोयल और कृष्णपाल गुर्जर के बीच भी संबंध अच्छे नहीं हैं। इसके साथ ही पृथला विधानसभा से विधायक टेकचंद शर्मा, तिगांव विधानसभा क्षेत्र से पूर्व प्रत्याशी रहे राजेश नागर इस समय उद्योगमंत्री विपुल गोयल के खेमे में है, जिस कारण कृष्णपाल गुर्जर की फरीदाबाद में भी राह आसान नहीं होगी। अब देखना यह है कि फरीदाबाद लोकसभा सीट से कौन विजयी होता है। 2019 में कौन सा नेता सांसद की कुर्सी पर बैठेगा, यह तो समय ही बताएगा।


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