आतंकी मसूद अजर के खिलाफ प्रतिबंध पर 13 मार्च तक हो सकता है फैसला

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-यूएस, यूके और फ्रांस ने यूएनएससी में पेश किया प्रस्ताव
नई दिल्ली, 28 फरवरी (हि.स.) । पुलवामा आतंकी हमले को लेकर फ्रांस के बाद अब संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को भेजे प्रस्ताव में आतंकी अजहर को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूएनएससी ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ काफिले पर 14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने फिदायीन हमला किया था। इसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद फ्रांस ने कहा था कि वह जल्द ही आतंकी मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए यूएनएससी में प्रस्ताव पेश करेगा। इस संदर्भ में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों के सलाहकार फिलिप एतिन से बातचीत भी की थी। इस बातचीत के बाद ही फ्रांस का बयान आया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूएस, यूके और फ्रांस ने बुधवार को यूएनएससी को प्रस्ताव दिया कि पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करें। प्रस्ताव में आतंकी अज़हर की संपत्ति को जब्त करने की भी मांग की गयी है। यूएनएससी ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है।
उल्लेखनीय है कि 15 सदस्यीय यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में यूएस, यूके, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। अन्य 10 अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल दो साल का होता है। स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार प्राप्त है। यदि एक भी स्थायी सदस्य देश किसी प्रस्ताव का विरोध कर दे तो वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता। यूएस, यूके और फ्रांस के इस प्रस्ताव का चीन द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है। चीन ने वर्ष 2016 में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) एवं अलकायदा और वर्ष 2017 में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाने को लेकर यूएनएससी में लाए गए प्रस्ताव का विरोध किया था। फिलहाल, चीन ने इस नए प्रस्ताव पर कोई बयान नहीं दिया है।
भारत, आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में वर्ष 2009, 2016 और 2017 में ही प्रस्ताव पेश कर चुका है। वर्ष 2016 में भारत के प्रस्ताव का अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने समर्थन किया था, जबकि चीन ने भारत के प्रस्ताव का हर बार विरोध किया था।
मसूद अजहर जनवरी 2016 में पठानकोट सैन्य शिविर पर हुए आतंकी हमले का भी मास्टरमाइंड है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस इस बात पर भी जोर दे रहा कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में ‘ग्रे लिस्ट’ वाले देशों में शामिल करने के लिए भी दबाव बनाया जाए। पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था। उसे नोटिस दिया गया था कि अगर उसने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर लगाम नहीं लगाई तो अक्टूबर 2019 में उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। 


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