आरआईसी वार्ता में सुषमा स्वराज ने बताई पुलवामा, बालाकोट की असलियत
वुहान/ नई दिल्ली, 27 फरवरी (हि.स.)। चीन के वुहान में रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रि-पक्षीय वार्ता के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैम्प पर हवाई कार्रवाई की जानकारी दी। वैश्विक स्तर पर फैले आतंकवाद पर बात करते हुए सुषमा ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बल पर हमले के बारे में भी बताया।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 16वीं रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रि-पक्षीय विदेश मंत्री स्तर की वार्ता में हिस्सा लेने चीन के वुहान में हैं। भारत के विदेश मंत्री के तौर पर यह उनकी चौथी आरआईसी वार्ता है। पिछली आरआईसी वार्ता साल 2017 में नई दिल्ली, भारत में हुई थी।
वार्ता के दौरान सुषमा ने कहा कि आज हमारे विश्व के अस्तित्व पर आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है। मैंने विशेष रूप से हाल ही में जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए बर्बर आतंकवादी हमले को रेखांकित किया, जिसमें भारत ने अपने 40 से अधिक बहादुर सुरक्षाकर्मियों को खोया। यह हमला हमें फिर से याद दिलाता है कि आतंकवाद और इसे प्रोत्साहित करने वालों के विरुद्ध सारे विश्व को एक होने की आवश्यकता है। भारत में हुए इस जघन्य आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। कल भारत द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर किया गया प्रहार भारत के आतंकवाद से लड़ने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमले के ठिकाने का चयन इस बात को ध्यान में रखते हुए किया गया कि किसी भी तरह से आम जनता को हानि न पहुँचे। यह एक गैर-सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ढांचे को ध्वस्त करना था और उसमें हमने कामयाबी हासिल की है।
वैश्विक आतंकवाद के इतर बात करते हुए सुषमा ने कहा कि आज विश्व के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनके समाधान के लिए रूस, भारत और चीन को मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता है। हम तीनों देशों की आवाज़, अपने-अपने स्तर पर अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में बहुत मायने रखती है। जलवायु परिवर्तन हमारे विश्व के सामने एक और अस्तित्व संबंधी खतरा है। यद्यपि साझा और पृथक जिम्मेदारियों के सिद्धांत को 2015 पेरिस समझौते में भी दोहराया गया था लेकिन विकसित देश इस संबंध में वित्तीय प्रतिबद्धताएं देने में आगे नहीं आ रहे हैं। नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत ने प्रभावी कदम उठाए हैं। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में भारत अग्रणी रहा है। संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को बे के लिए इसमें सुधार करना समय की मांग है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के विस्तार की भी जरूरत है, और किसी भी मापदंड पर सुरक्षा परिषद् का सदस्य बनने के लिए भारत प्रबल दावेदार है।
सुषमा ने कहा कि वैश्विक व्यवस्था और इसके विभिन्न संस्थानों, जैसे ब्रेटेनवुड संस्थाओं में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। निस्संदेह हमें एक सुधरे हुए बहुपक्षवाद की तरफ बढ़ने की आवश्यकता है। G-20 ढांचे के अंतर्गत कुछ विशेष क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, इसके संबंध में मैंने भारत के आह्वान को दोहराया। खाद्य सुरक्षा को प्रोत्साहन, आर्थिक भगोड़ों तथा उनके द्वारा अवैध रूप से प्राप्त की गई संपत्तियों की वापसी के लिए सहयोग को सुदृढ़ करना और आपदा वहनीय ढांचे को प्रोत्साहित करना ऐसे कुछ क्षेत्र हैं। वैश्विक आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था जरूरी है।