ट्रम्प की इमरजेंसी की घोषणा के बाद अमेरिका में राष्ट्रपति के अधिकारों पर विवाद

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वाशिंगटन, 16 फरवरी (हि.स.)| राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से नेशनल इमरजेंसी घोषित किए जाने के बाद अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति के अधिकारों और कार्य विभाजन को लेकर विवाद शुरू हो गया है। डेमोक्रेटिक कैलिफोर्निया स्टेट ने राष्ट्रपति ट्रम्प के अधिकारों को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने की घोषणा की है, तो कांग्रेस में डेमोक्रेट बहुल प्रतिनिधि सभा में स्पीकर नैंसी पेलोसी और सीनेट में डेमोक्रेटिक नेता चुक शुमर ने इमरजेंसी की घोषणा से नाखुश एक दर्जन रिपब्लिकन सिनेटर के साथ मिल कर दोनों सदनों में इमरजेंसी को ब्लाक किए जाने संबंधी विधेयक लाने का संकेत दिया है। इमरजेंसी को ब्लाक किए जाने संबंधी यह विधेयक पारित हो भी जाता है, तो राष्ट्रपति के पास वीटो का अधिकार है। ट्रम्प ऐसा करते हैं, तो उनके कार्यकाल का यह पहला वीटो अधिकार होगा। डेमोक्रेट बहुल प्रतिनिधि सभा की न्यायिक समिति ने इस तरह के विधेयक लाए जाने पर विचार शुरू कर दिया है। प्रतिनिधि सभा में स्पष्ट बहुमत के साथ उन्हें सीनेट में एक दर्जन रिपब्लिकन सिनेटर का साथ है।
ट्रम्प इस इमरजेंसी के जरिए दीवार निर्माण के खर्चों के लिए आसानी से आठ अरब डालर एकत्र करने में सफल हो जाएंगे। इसके लिए व्हाइट हाउस ने कहा है कि दीवार निर्माण के लिए मिलिट्री सिविल कंस्ट्रक्शन (3.6 ), मादक दवा निषेध (2.6 अरब), ट्रेजरी खर्चों से (60 करोड़ डालर) एवं कांग्रेस से दीवार निर्माण पर सहमत (1.375 अरब आदि खर्चों में से आठ अरब डालर जुटा लेंगे। ट्रम्प ने कहा है कि अब वह अपने उद्देश्य में दीवार निर्माण शीघ्रतिशीघ्र बना पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह यह तरीका अपनाना नहीं चाहते थे, लेकिन उनके पास कोई विकल्प भी नहीं था। ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने पिछले दो माह से कांग्रेस सदस्यों की मनुहार नाहक ही की। राष्ट्रपति ने शुक्रवार को रोज गार्डेन से जनता के नाम संदेश में कहा कि अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर ड्रग माफिया और अपराधियों के कारण अमानवीय समस्याओं के अलावा देश की सुरक्षा पर आंच आ सकती थी। उन्होंने 50 मिनट के संबोधन में चीन के साथ ट्रेड युद्ध की बारीकियों के अलावा उत्तरी कोरिया के शासक किम जोंग उन से दूसरी शिखर वार्ता के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि कुछ डेमोक्रेट अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जीत उन्हीं की होगी। 


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