बरौनी खाद कारखाना में प्रत्येक दिन बनेगा 3850 एमटी यूरिया

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बेगूसराय,15 फरवरी(हि.स.)। एक समय था जब पूरे देश में बेगूसराय का ‘मोती’ चर्चित था लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण खाद कारखाना बंद हो जाने से लोग मोती यूरिया को भूल गए। अब एक बार फिर से बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय देश भर के किसानों के बीच चर्चित होने जा रहा है। 17 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बरौनी के पुराने कैम्पस में ही बनने वाले नये खाद कारखाना का शिलान्यास करेंगे जिसके बाद निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर होगा और मई 2021 से यहां उत्पादन शुरू हो जाएगा। प्रत्येक दिन 3850 टन नीम कोटेड यूरिया (प्रत्येक वर्ष 12.70 लाख एमटी) तथा 22 सौ टन अमोनिया का उत्पादन होगा। हलांकि उत्पादित होने वाली खाद के ब्रांड नेम का खुलासा नहीं हुआ है। हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर का नाम बदलकर हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) कर दिया गया है तथा गैस से चलने वाले इस कारखाना के मुख्य प्लांट का निर्माण टेक्नीप करेगी।
इसे बनवाने का जिम्मा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी), कोल इंडिया, हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) एवं फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने उठाया है। पांच हजार एक सौ करोड़ की लागत से बनने वाला यह खाद कारखाना जनवरी 2021 तक तैयार कर लिए जाने का लक्ष्य रखा गया है। कारखाना में खाद उत्पादन में भूगर्भीय जल के बदले प्रत्येक दिन एक हजार दस घन मीटर गंगा जल का उपयोग होगा।
अधिकारियों के अनुसार इस उपक्रम के चालू हो जाने से राज्य के किसानों को आसानी से रासायनिक उर्वरक और यूरिया उपलब्ध हो सकेगा। बरौनी में उत्पादन शुरू हो जाने से यातायात दबाव भी कम होगा क्योंकि बिहार में वेस्टर्न एंड सेंट्रल रीजन से रेल समेत अन्य यातायात साधनों के जरिए रसायनिक उर्वरकों और यूरिया की आपूर्ति होती है।
बताते चलें कि प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के कार्यकाल में बरौनी में हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर खाद कारखाना बना था लेकिन सिस्टम की कमजोरी के कारण 1998-1999 घाटा दिखाकर उत्पादन बंद हो गया। जिसके बाद 2002 में इसे स्थाई रूप से बंद कर दिया गया। कई आंदोलन हुए तो 2008 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं केन्द्रीय रासायन एवं उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान ने शिलान्यास किया लेकिन उसका निर्माण नहीं हो सका। इसके बाद सांसद डॉ. भोला सिंह ने इस मामले 31 बार संसद में उठाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर गई। इसके बाद 25 मई 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे चालू करने का फैसला लिया तथा 25 जुलाई 2016 को वित्तीय पुनर्गठन पैकेज के तहत करीब नौ हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ करते हुए पुनरुद्धार को मंजूरी दी गई।


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