राफेल मुद्दा, कर्नाटक टेप कांड व कैग रिपोर्ट पर सरकार को संसद में घेरेगा विपक्ष

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नई दिल्ली,11 फरवरी (हि.स.)। संसद के बजट सत्र के बचे 3 दिन में विपक्ष ने राफेल, कर्नाटक में जद(एस) सरकार को गिराने की साजिश व आडियो टेप, राफेल मामले की रिपोर्ट मामले में भारत के नियंत्रक व लेखा महापरीक्षक राजीव महर्षि की भूमिका के मुद्दे को उठाकर सरकार को घेरने की तैयारी की है। इसके कारण कामकाज में व्यवधान होने और राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक तथा नागरिकता संशोधन विधेयक पास नहीं होने की संभावना है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता कपिल सिब्ब्ल का कहना है कि कांग्रेस संसद के दोनों सदनों में राफेल की रिपोर्ट मामले में भारत के नियंत्रक व लेखा परीक्षक राजीव महर्षि की भूमिका को उठाएगी। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि एक अंग्रेजी दैनिक ( “द हिन्दू”) ने राफेल सौदे के बारे में कई नये तथ्य प्रमाण सहित उजागर किये हैं। उस बारे में सरकार से जवाब मांगा जाएगा। यह मामला संसद के दोनों सदनों में उठेगा। इस बारे में भाजपा के नेताओं का कहना है कि विपक्ष किसी न किसी बहाने संसद नहीं चलने देना चाहता है। इधर भाजपा नेता व केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि राफेल रिपोर्ट व राजीव महर्षि पर कांग्रेस ने जो आरोप लगाया है उसे निराधार बताते हुए 10 फरवरी को ही जवाब दे दिया गया है। फिर भी कांग्रेस व विपक्ष संसद नहीं चलने देना चाहते हैं। इस बारे में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुमार केतकर का कहना है कि राफेल सौदा मामले में जो नये तथ्य उजागर हुए हैं उसका भाजपानीत केन्द्र सरकार से प्रमाण सहित जवाब चाहिए। सरकार के मंत्री व नेता केवल गाल बजा रहे हैं और तथ्यों को नकार कर अपने किये भ्रष्टाचार को तोपने का काम कर रहे हैं। इसे एक्सपोज करने के लिए इस मुद्दे को संसद में उठाना बहुत जरूरी है। संसद सर्वोच्च फोरम है। रही बात राजीव महर्षि की तो उनका बचाव जो तर्क देकर अरूण जेटली कर रहे हैं, वह सही नहीं है। राजीव महर्षि इस सरकार के समय केन्द्र में वित्त सचिव रह चुके हैं। इस सरकार ने जो राफेल सौदा किया उसकी जानकारी उनको भी रही है। ऐसे में राफेल मामले की कैग रिपोर्ट में तथ्यों को दबाकर वर्तमान सरकार के सौदे को जायज ठहराने का काम होने पर, उन पर हितों के टकराव का संदेह होना लाजिमी है। राजीव को तो राफेल मामले की आडिट से अपने को अलग कर लेना चाहिए था। इसलिए यह मुद्दा संसद में तो उठेगा ही, चुनावी मुद्दा भी बनेगा। 


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