आरबीआई ने विदेशों से फंड जुटाने की प्रक्रिया को सरल किया

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मुंबई, 04 फरवरी (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक ने डॉलर और अन्य विदेशी मुद्राओं की तुलना में रुपये की कमजोर होती स्थिति को सुधारने के लिए विदेशों से फंड जुटाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय बैंक ने कंपनियों की ऑफशोर उधार लेने की प्रक्रिया पर लगाए गए अंकुश में ढील देने की कोशिश की है। भारतीय उधारकर्ताओं को कम से कम तीन साल तक ऑफशोर मार्केट से धन जुटाने की सहूलियत मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के लिए ऑफशोर उधार नियमों में ढील देने का फैसला लिया है। इसके साथ ही रुपये की विनिमय दर को बढ़ाने के लिए भी ठोस प्रयास किए हैं। ऑफशोर मार्केट से पूंजी जुटाने वाले नियमों में ढील देने से रुपये के मजबूत होने की संभावना भी बढ़ी है। बता दें कि वर्ष 2019 में डॉलर और अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपये में लगभग 2 फीसदी की गिरावट आई है।
इससे पहले, आरबीआई की ओर से केवल तीन वर्षों के लिए कंपनियों को 50 मिलियन डॉलर तक उधार लेने की अनुमति दी गई थी। 50 मिलियन डॉलर से अधिक की धनराशि जुटाने के लिए कंपनियों को कम से कम पांच वर्षों के लिए उधार लेने के लिए कई कड़ी शर्तों का पालन करना पड़ता था। अब आरबीआई की ओर से तीन साल के न्यूनतम परिपक्वता नियमों को शिथिल कर दिया गया है। इससे मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को एक वर्ष के लिए विदेशी कंपनियों से 50 मिलियन डॉलर तक की राशि उधार लेने की अनुमति मिल गई है। इससे रुपये में सकारात्मक सुधार आएगा और कंपनियों को विदेशों में बॉन्ड जारी कर फंड जुटाने में भी काफी सहूलियत मिलेगी।


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