सुरक्षा परिषद में वेनेजुएला के राजनैतिक संकट पर अमेरिका और रूस आमने-सामने

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न्यूयॉर्क, 27 जनवरी (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान वेनेजुएला के राजनैतिक संकट को लेकर तनावपूर्ण माहौल में अमेरिका और रूस ने परस्पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए और सदन दो खेमों में बंट गया। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि वेनेजुएला में अस्थिरता से क्षेत्रीय सुरक्षा को ख़तरा पैदा हो गया है। अब समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद को आरपार का निर्णय लेना चाहिए।
इसके ठीक विपरीत रूस के स्थाई प्रतिनिधि ने कहा कि ख़तरा वाशिंगटन की ओर से है। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष के नेता जुआन गुइडो को संरक्षण देना और उन्हें मान्यता दिया जाना अन्तरराष्ट्रीय नियमों के ख़िलाफ़ है। जबकि चीन के मा झाओक्षु ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वेनेजुएला राष्ट्र की सुरक्षा के लिए कोई ख़तरा नहीं है और वह किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में दख़ल देने के पक्ष में नहीं है। इससे पूर्व परिषद के स्थाई सदस्य फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड ने स्पेन के साथ मिलकर वेनेजुएला में अगले आठ दिनों में चुनाव की घोषणा की मांग की। इंग्लैंड के विदेश मंत्री सर एलान डंकन ने कहा कि वेनेजुएला में आम जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली वैध सरकार के लिए जरूरी है कि वहां चुनाव हों।
वेनेजुएला के विदेश मंत्री जार्ज अरूजा ने सुरक्षा परिषद में खेमेबाज़ी और यूरोपीय चेतावनी को अनसुना करते हुए दावा किया कि निकोलस मदुरो की सरकार वैध है और वह किसी भी दबाव में नहीं आएगी। उधर, दोनों ओर से मदुरो पर दबाव बढ़ता जा रहा है। गुइडो के शासन तंत्र को अमेरिका, कनाडा सहित क़रीब एक दर्जन देशों ने मान्यता दे दी है। 


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