राजस्थान के किसान हुकुमचंद को अनूठी जैविक खेती के लिए पद्मश्री पुरस्कार

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कोटा, 26 जनवरी (हि.स.)। देश की दिग्गज हस्तियों के साथ राजस्थान के झालावाड़ जिले में मानपुरा गांव के साधारण किसान हुकुम चंद पाटीदार को भी इस वर्ष पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। भारतीय जैविक खेती को दुनिया मे लोकप्रिय बनाने के लिए हुकुम चंद का योगदान अतुलनीय रहा।
14 वर्षों से जैविक खेती से जुड़े हुकुमचंद स्वामी विवेकानंद एग्रिकट्रियल रिसर्च फार्म के संस्थापक हैं। वे खुद 40 एकड़ में नियमित जैविक खेती करते हैं। अच्छी पैदावार के लिए विभिन्न फसलों में नए प्रयोग करने में उनकी रुचि रहती है। वे सात देशों को जैविक उत्पाद भेजते हैं। एग्रीकल्चर में नवाचार के लिए उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। टीवी चैनल पर सत्यमेव जयते शो में फिल्म अभिनेता आमिर खान उनकी अनूठी जैविक खेती की सफलता देश-दुनिया को बता चुके हैं।
हुकुमचंद ने 2004 में अपने गांव से ही जैविक खेती शुरू की थी। सबसे पहले चार एकड़ भूमि पर जैविक फसलें उगाईं। पैदावार में गिरावट आई तो उन्होंने रासायनिक उर्वरक और स्प्रे का उपयोग बन्द कर दिया। बैंक से कर्ज लेकर खेत पर वर्मी-कम्पोस्ट तैयार किया। इसे जब फसलों पर इस्तेमाल किया तो अच्छे परिणाम सामने आए। वे अपनी वेबसाइट ‘फार्म टू किचन डॉट कॉम’ के जरिये राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब और गुजरात में अपनी फसलों की मार्केटिंग करते हैं। वे अपने खेत में परम्परागत गेहूं, जौ, चना, मेथी, धनिया, लहसुन आदि उगाते हैं।
‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे राज्य और देश के लिए जैविक खेती में नए प्रयोग जारी रखेंगे, जिससे देश के लाखों किसानों को लाभ मिल सके।
सरहद पार पहुंची जैविक खेती-
खास बात यह है कि इनकी फसलों की मांग जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, फ्रांस और कोरिया आदि कई देशों में रहती है। इतना ही नहीं, विदेश से कृषि वैज्ञानिक भी इनकी अनूठी जैविक खेती सीखने के लिए मानपुरा गांव आते हैं। झालावाड़ जिला प्रशासन व राज्य स्तर पर भी हुकुमचंद को सम्मानित किया गया है। उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने से हाडौती अंचल के किसानों में खुशी की लहर है।


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