‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना जागरुकता फैलाने के लिए, प्रचार में खर्च स्वभाविक : सरकार
नई दिल्ली, 22 जनवरी (हि.स.)। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मंगलवार को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना को लेकर मीडिया में आ रही खबरों पर स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि योजना का मूल उद्देश्य एक राष्ट्रीय स्तर पर पर जागरूकता अभियान चलाना है। इन खबरों में कहा गया था कि इस योजना से जुड़ा ज्यादातर खर्च प्रचार से जुड़ा है।
मंत्रालय ने कहा कि 1961 के बाद से लेकर देश में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले काफी कम रही है। इसी को देखते हुए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत की गई थी। इसके माध्यम से देश भर में 360 डिग्री मीडिया कैंपेन की सहायता ली गई है। साथ ही साथ कई गतिविधियों के माध्यम से जमीनी स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कराए गए हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के इस स्पष्टिकरण में कहा गया है कि जागरूकता अभियान कैंपेन, समुदायिक गतिविधियां और पब्लिसिटी में योजना राशी का खर्च किया जाना योजना का हिस्सा है। इसी कारण से योजना का प्रचार खर्च अन्य योज मुकाबले अधिक है।
मंत्रालय के अनुसार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय भी योजना से जुड़ा हुआ है। देश के विभिन्न हिस्सों और समाज में इसका एक व्यापक प्रभाव पड़ा है। इससे लोगों की सोच में बदलाव आया है जिसने समाज में लड़कियों के प्रति सोच को बदला है। इसी के चलते पिछले 4 सालों में लड़कियों के जन्म की दर में वृद्धि देखने को मिली।
उल्लेखनीय है कि मीडिया में इस तरह के समाचार आए थे कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के कुल खर्च का 54 प्रतिशत केवल प्रचार में खर्च किया गया है। इसपर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर तंज कसा था। राहुल ने कहा था कि यह ‘मोदी बचाओ, एडवर्टाइजमेंट चलाओ’ योजना बन कर रह गई है।