कुम्भ क्षेत्र: श्रद्धालुओं ने खुले आसमान के नीचे बितायी रात, फिर लगायी डुबकी

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कुम्भ नगरी (प्रयागराज), 15 जनवरी (हि.स.)। कुम्भ क्षेत्र में मकर संक्रांति के स्नान पर देश-प्रदेश के कोने- कोने से आए श्रद्धालुओं ने खुले आसमान के नीचे रात्रि बितायी। बीती रात दो बजकर तीस मिनट के बाद संक्रांति की तिथि शुरु होते ही श्रद्धालुओं ने विभिन्न घाटों पर डुबकी लगायी।
मकर संक्रांति के स्नान को पावन माना जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा स्नान कर पुण्य की प्राप्ति की जाती है।
मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं ने विभिन्न घाटों पर भोर से ही डुबकी लगानी शुरु कर दी। इसके पहले रात्रि पहर कुम्भ क्षेत्र में आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने खुले आसमान के नीचे टाट या कम्बल बिछाकर अपनी नींद पूरी की। ठंडी हवाओं के चलने के बाद भी श्रद्धालुओं की श्रद्धा में कोई कमी नहीं दिखी और जैसे ही उनकी नींद टूटी, वे घाट की ओर बढ़ चले। श्रद्धालुओं ने पुरे आनन्द भाव से स्नान किया।
खुले आसमान में सोये प्रतापगढ़ जिले से कुम्भ क्षेत्र में पधारे श्रद्धालुओं रवि और आकाश ने बताया कि वे मोटरसाइकिल से प्रयागराज पहुंचें और वाहन को खड़ा कर खुले में बिछाकर सो गए। इसके बाद भोर में उठकर स्नान के लिए जा रहें है। स्नान करने के बाद वे वापस हो जाएंगे।

बिहार के भभुआ जिले से स्नान के लिए आए प्रभुराम ने बताया कि वह भभुआ से वाराणसी आए और वहां से रेलगाड़ी से प्रयागराज पहुंचें। फिर रेलवे स्टेशन से पैदल कुम्भ क्षेत्र में पहुंचें। सेक्टर चार में वह खुले मैदान में कम्बल बिछाकर और ओढ़कर सो गए। मकर संक्रांति की तिथि लगते ही उन्होंने स्नान किया।
मध्य प्रदेश के रीवा जिले से आए सूरजभान सिंह और उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष उनका परिवार संगम नहाने आता है। इस बार कुम्भ लगा है तो वे रेलगाड़ी से एक बजे रात्रि में प्रयागराज के कुम्भ क्षेत्र में पहुंच गए। फिर दो घंटे रुककर स्नान करने के लिए जा रहें है।
उन्होंने बताया कि रात्रि पहर ठंडक है। इसके लिए वे अपने साथ कम्बल लेकर चले थे। जिसे ओढ़कर दो घंटे तक इंतजार किया। स्नान करने के बाद वे साधु संतों के दर्शन के बाद वापस हो जाएंगे।

प्रयागराज जिले के नैनी के निवासी शिवानन्द मिश्रा ने बताया कि मकर संक्रांति पर उनके परिवार के सदस्य बारी-बारी से संगम स्नान करते हैं। अभी भोर में वह आए हैं। इसके बाद सुबह तक उनके परिवार की महिलाएं और बच्चे आएंगे। उनके परिवार के सदस्य हमेशा से ही संगम में स्नान करते रहें है।


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