शिप्रा ग्रुप को अतिरिक्त एफएआर देने की याचिका पर सरकार व जीडीए से जवाब तलब

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जीडीए को 446 करोड़ की चपत लगाने का आरोप 



गाजियाबाद, 02 नवम्बर (हि.स.)। बड़े बिल्डर शिप्रा को ज्वाइंटवेंचर कर जीडीए द्वारा एक प्रतिशत एफएआर देने के मामले में भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी की जनहित याचिका हाईकोर्ट में स्वीकार कर ली गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में जीडीए और उत्तर प्रदेश सरकार से तीन सप्ताह के अंदर जवाब तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने शिप्रा एस्टेट लिमिटेड और साया बिल्डर को भी एक सप्ताह के अंदर नोटिस जारी करने के निर्देश दिये हैं। इस मामले में शिप्रा व साया बिल्डर को अतिरिक्त एफए आर देकर 446 करोड़ रुपये की जीडीए को चपत लगाने का आरोप लगाया गया है।
राजेंद्र त्यागी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष-2001 के आसपास जीडीए शिप्रा एस्टेट के बीच इंदिरापुरम की 22.31 हेक्टेयर जमीन को लेकर ज्वाइंटवेंचर हुआ था। जीडीए ने इसके लिए 2001 में में शिप्रा एस्टेट सहित कुछ बिल्डरों के साथ ज्वाइंटवेंचर के लिए एमओयू साइन किया था। एमओयू में दर्ज की गई शर्त के अनुसार, प्रॉपर्टी बनाने के लिए 1.5 एफएआर दिया गया। इस ज्वाइंटवेंचर में 106 करोड़ रुपये की डील हुई थी। सबसे ज्यादा मूल्य शिप्रा एस्टेट सहित कुछ बिल्डरों द्वारा लगाई गई थी। एमओयू की शर्त के मुताबिक, थर्ड पार्टी को जो प्रॉपर्टी सेल की जानी थी उसकी रजिस्ट्री जीडीए को करनी थी, मगर इस नियम का पालन ही नहीं किया गया।
त्यागी ने बताया कि बताया कि वर्ष-2013-14 में जीडीए ने एक प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर बिल्डर को दे दिया, मगर इस एफएआर के बदले में जीडीए ने कोई भी एडिशनल चार्ज बिल्डर से नहीं लिया। जबकि जमीन का रेट 2001 के मुताबिक कई गुना बढ़कर 2013 में 50 हजार के आसपास पहुंच गया था। इस तरह से जीडीए को अतिरिक्त एफएआर देने से 446 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान पहुंचा। इस मामले में पार्षद त्यागी ने शनिवार को बताया कि हाई कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है।

 


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