रेलिगेयर केस : मलविंदर-शिवेंद्र की न्यायिक हिरासत 14 नवम्बर तक बढ़ी

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तीन अन्य आरोपितों की न्यायिक हिरासत 30 नवम्बर तक बढ़ाने के आदेश



नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (हि.स.)। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बैंक के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में जेल में बंद फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर और रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व सीईओ मलविंदर सिंह और उनके भाई शिवेंद्र सिंह की न्यायिक हिरासत 14 नवम्बर तक बढ़ा दिया है। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने बाकी तीन आरोपितों सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना की न्यायिक हिरासत 30 नवम्बर तक बढ़ाने का आदेश दिया।

पिछले 23 अक्टूबर को मलविंदर सिंह, शिवेंद्र सिंह और रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के बीच कोर्ट में कोई समझौता नहीं हो सका था। रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड ने चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत को बताया था कि मलविंदर सिंह और शिवेंद्र सिंह ने कोई प्रस्ताव नहीं दिया। इस पर दोनों सिंह बंधुओं की ओर से कहा गया था कि दोनों भाइयों को एक साथ बैठकर विचार किए बिना कोई भी प्रस्ताव देना संभव नहीं है।

पिछले 22 अक्टूबर को साकेत कोर्ट ने मलविंदर सिंह और शिवेंद्र सिंह के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया था। दरअसल मलविंदर सिंह और शिवेंद्र सिंह के वकील ने कोर्ट को बताया था कि कि वे शिकायतकर्ता रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के साथ समझौता करना चाहते हैं। इस पर आरएफएल की ओर से मनप्रीत सूरी ने कहा था कि वे समझौते के लिए लिखित प्रस्ताव चाहते हैं। उसके बाद कोर्ट ने दोनों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया था। पिछले 17 अक्टूबर को कोर्ट ने मलविंदर, शिवेंद्र समेत पांच आरोपितों को आज तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। पिछले 15 अक्टूबर को कोर्ट ने पांचों आरोपितों की 17 अक्टूबर तक की ईओडब्ल्यू हिरासत में भेजा था। उसके पहले 11 अक्टूबर को कोर्ट ने पांचों को 15 अक्टूबर तक की ईओडब्ल्यू की हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।

इस मामले में पांचों आरोपितों को ईओडब्ल्यू ने 10 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। रेलिगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड की शिकायत पर इन्हें गिरफ्तार किया गया था। ईओडब्ल्यू के मुताबिक रेलिगेयर कंपनी में रहते हुए शिवेंद्र सिंह ने बैंकों से 2300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और उस पैसे को गलत तरीके से अपनी सहायक कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया और बैंक का कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाया। जब कंपनी आरएफएल की हो गई तब पूरे घोटाले का खुलासा हुआ।

 


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