नई दिल्ली, 24 अगस्त (हि.स.)। जल प्रदूषण और नदियों की सफाई के रास्ते में बड़ी बाधा शहरों की बड़ी नालियां और नाले हैं, क्योंकि यह सीधा उसमें गिरते हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली में भारत सरकार और डेनमार्क की एक कंपनी की मदद से जल्द ही एक विशेष केंद्र शुरू होगा।
‘डीईएसएमआई सेंटर ऑफ एक्सिलेंस ऑन वेस्ट टु वेल्थ वेल्थ’ नामक इस केंद्र की स्थापना के लिए शुक्रवार को डीसएमआई, डेनमार्क के ग्रुप सीईओ हेनरिक सोरेनसेन और आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रामगोपाल राव और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत आईआईटी दिल्ली और डीईएसएमआई नालों को साफ करने के लिए नए यांत्रिक उपकरणों को अनुकूलित करने, संशोधित करने और बनाने के लिए एक साथ काम करने पर सहमत हुए हैं।
डीईएसएमआई सेंटर फॉर एक्सीलेंस (सीऑफई) की मदद से दिल्ली में बाबरपुर, बारापुल्ला और अन्य जल निकायों की नालियों से तैरते हुए मलबे को हटाने और एकत्र किए गए मिश्रित कचरे से संसाधन उत्पन्न करना है। यहां कूड़े के ट्रीटमेंट के लिए कई तकनीकों को खोजा जाएगा ताकि उनका इस्तेमाल देश के अन्य शहरों में किया जा सके।
विजय राघवन ने कहा हमें अपने जलमार्गों को साफ करने की आवश्यकता है क्योंकि यह सीधा हमारी नदियों और महासागरों में गिरते हैं। इसके साथ ही, हमें अपने नजरिये को बदलने की जरूरत है ताकि हम अपने कचरे को खुले में न फेंके।
प्रो. रामगोपाल राव ने कहा यह आईआईटी दिल्ली की एक प्रमुख पहल है जिसमें भारत सरकार, एक शैक्षणिक संस्थान और उद्योग साझेदार हैं। यह साझेदारी कचरा प्रबंधन की समस्याओं को हल करने के लिए है।