डूसू ने कैंपस से हटाईं सावरकर, भगत सिंह और सुभाषचंद्र बोस की मूर्तियां

0

डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना ही 20 अगस्त को सावरकर सहित तीनों क्रांतिकारी नेताओं की मूर्तियां स्थापित कर दी थीं



नई दिल्ली,  24 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेतृत्व वाले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ने शनिवार को वीर सावरकर, सरदार भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्तियों को दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति मिलने तक के लिए हटा लिया है।

एबीवीपी ने एक बयान जारी कर कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने विद्यार्थी परिषद को आश्वासन दिया है कि डूसू चुनाव बाद अनुमति मिलने पर प्रक्रिया के तहत इन मूर्तियों की पुनर्स्थापना की जाएगी। तब तक के लिए इन मूर्तियों को दिल्ली विश्वविद्यालय ने सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया है।

डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना ही 20 अगस्त को सावरकर सहित तीनों क्रांतिकारी नेताओं की मूर्तियां स्थापित कर दी थीं । इसके बाद कांग्रेस पार्टी की छात्र ईकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) सहित अन्य छात्र संगठनों ने इसको लेकर काफी हंगामा किया था। इतना ही नहीं एनएसयूआई के दिल्ली अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने सावरकर की मूर्ति पर कालिख तक पोत दी थी। इसके बाद शनिवार को तड़के तीनों मूर्तियों को हटा दिया गया।

एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि  डूसू की मांग को दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एक लंबे समय तक नजरअंदाज करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। विश्वविद्यालय अपने आश्वासन के अनुसार शीघ्र इन मूर्तियों की पुनर्स्थापना कराए, साथ ही साथ इस दौरान जिस प्रकार से दूसरे छात्र संगठनों ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण तथा अति निम्न स्तरीय कृत्यों को अंजाम दिया है,  उसकी हम आलोचना करते हैं‌। इन छात्र संगठनों की स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति वास्तविक मानसिकता उजागर हुई है,  जिसका आने वाले समय में देश का युवा करारा जवाब देगा। साथ ही साथ कांग्रेस को यह समझ लेना चाहिए कि उसके ‘कालिख मॉडल’ से वास्तविकता छुपने वाली नहीं है। परिषद नहीं चाहती कि स्वतंत्रता सेनानियों के नाम के ऊपर राजनीति हो इसलिए हमने मूर्तियों को हटाने का निर्णय लिया है।

मूर्तियां हटाने के कदम का स्वागत करते हुए अक्षय लाकड़ा ने कहा कि एनएसयूआई पहले दिन से ही नकली राष्ट्रवाद के विचार का विरोध कर रही थी। एबीवीपी सावरकर को वीर बनाने में विफल रहा है। एनएसयूआई कभी भी कैंपस में कोई गुंडागर्दी या उपद्रव पैदा नहीं करना चाहती थी, लेकिन हम किसी भी तरह के फर्जी राष्ट्रवाद की घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह पूरा मूर्ति प्रकरण डूसू चुनाव के प्रवचन को चमकाने और बदलने की कोशिश थी।

वहीं शक्ति सिंह ने मूर्तियों को हटाने को शहीदों के अपमान की संज्ञा देते हुए कहा कि यह छात्रसंघ की हत्या है। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कृत्य के खिलाफ प्रदरर्शन करेंगे।

 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *