सोची-समझी राजनीति के तहत चंद्रशेखर जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों की हुई उपेक्षाः मोदी

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देश में एक ऐसी जमात है जिसने सोची-समझी राजनीति के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों की नकारात्मक छवि बनाती रही है। यह जमात किसी की छवि बनाने और बिगाड़ने पर एकाधिकार का दावा करती है।



नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि राजनीतिक छुआछूत के कारण देश के कुछ प्रमुख राजनेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों की छवि को जान-बूझकर धूमिल किया गया और कुछ अन्य को महिमामंडित किया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का योगदान रहा है और उसे उजागर करने के लिए राजधानी में एक संग्रहालय बनाया जाएगा, जिसमें उन नेताओं के जीवन और कार्यों का लेखाजोखा होगा।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के जीवन और कृतित्व पर राज्यसभा के उप सभापति और जाने-माने पत्रकार हरिवंश की लिखी पुस्तक का विमोचन करते हुए मोदी ने कहा कि चंद्रशेखरजी ऐसी ही शख्सियत थे जिसकी उपेक्षा की गई और उन्हें भूला देने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि देश में एक ऐसी जमात है जिसने सोची-समझी राजनीति के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों की नकारात्मक छवि बनाती रही है। यह जमात किसी की छवि बनाने और बिगाड़ने पर एकाधिकार का दावा करती है। यह जमात यही दुष्प्रचार करने में लगी रही कौन प्रधानमंत्री क्या पीता है, कौन प्रधानमंत्री सरकारी बैठकों में सोता है और कौन प्रधानमंत्री पीठ पीछे वार करता है। मोदी का इशारा पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, एचडी देवगौड़ा और पीवी नरसिम्हाराव आदि के बारे में होने वाली चर्चाओं के बारे में था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि निहित स्वार्थी जमात ने बाबा साहेब अंबेडकर और सरदार पटेल के योगदान को भूला देने की हरसंभव कोशिश की। उन्होंने कहा कि दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी इस जमात के निशाने पर थे। यह संयोग है कि उनकी शहादत हुई और संभावित दुष्प्रचार से वह बच गए।

देश की राजनीतिक और सामाजिक जीवन में स्व. चंद्रशेखर के योगदान की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने अपनी विचारधारा और आदर्शों के साथ कभी समझौता नहीं किया। जब वह कांग्रेस में थे तब उन्होंने पार्टी की स्थापित सत्ता को चुनौती दी। देश और समाज को समझने के लिए उन्होंने हजारों किलोमीटर की पदयात्रा की। यह दुर्भाग्य की बात है कि जनसंपर्क के इस व्यापक अभियान को नजरअंदाज कर दिया गया।

चंद्रशेखर के जीवन विभिन्न पहलूओं को उजागर करने वाली पुस्तक का लेखन करने के लिए उप सभापति हरिवंश को धन्यवाद देते हुए मोदी ने कहा कि इससे देशवासियों को एक महान राजनीतिक व्यक्तित्व का समग्रदर्शन होगा और नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। मोदी ने कहा कि चंद्रशेखर युवा तुर्क समूह के सदस्य थे जिसकी लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था थी। युवा तुर्क लोकनायक जयप्रकाश नारायण से भी प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से यदि ईमानदारी से संघर्ष किया जाए तो सारे गैर लोकतांत्रिक तरीकों के इस्तेमाल की जरूरत ही न पड़ेगी।

मोदी ने कहा कि उन्होंने यह ठोस फैसला किया है कि राजधानी में पूर्व प्रधानमंत्रियों की स्मृति में संग्रहालय बनाया जाएगा। इसमें चंद्रशेखर, चरण सिंह, एचडी देवगौड़ा, आइके गुजराल और डॉ मनमोहन सिंह आदि सभी प्रधानमंत्रियों के बारे में सामग्री को संग्रहित किया जाएगा। उन्होंने परिवारवालों, इष्टमित्रों और प्रशंसकों से आग्रह किया कि उनके पास इन पूर्व प्रधानमंत्रियों के बारे में जो सामग्री है वह संग्रहालय को उपलब्ध कराएं।

मोदी ने चंद्रशेखर के साथ अपने अंतरंग संस्मरणों को भी साझा किया। उन्होने कहा कि चंद्रशेखर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को गुरुजी कहते थे। वर्ष 1991 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले उन्होंने गुरुजी (अटलजी) से बात कर अपने फैसले की जानकारी दी थी।

समारोह के विशिष्ट अतिथि उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि चंद्रशेखर सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले एक विशिष्ट प्रकार के नेता थे। बिना वोट बैंक की राजनीति का सहारा लिए वह राजनीति के शिखर तक पहुंचे। उप राष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय बनाने के लिए सरकार का धन्यवाद दिया।

 


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