प्रशासनिक असहयोगिता से जूझने लगी बंगाल सरकार

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लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद राज्यभर में भारतीय जनता पार्टी की भारी बढ़त ने सत्तारूढ़ तृणमूल को परेशानी में डाल दिया है। हार का ठीकरा प्रशासन पर फोड़ते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्यभर में सैकड़ों उच्च अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है।



कोलकाता, 02 जून (हि.स.)। लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद राज्यभर में भारतीय जनता पार्टी की भारी बढ़त ने सत्तारूढ़ तृणमूल को परेशानी में डाल दिया है। हार का ठीकरा प्रशासन पर फोड़ते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्यभर में सैकड़ों उच्च अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। इसमें 48 आईपीएस अधिकारी और 20 से अधिक आईएएस अधिकारियों का तबादला हुआ है। थाना प्रभारी, एसडीओ, एसडीपीओ और निचले स्तर के अधिकारियों में भी बड़ी फेरबदल पश्चिम बंगाल सरकार ने की है। इसकी वजह से प्रशासनिक महकमे में नाराजगी का माहौल बन गया है और राज्य सरकार के साथ असहयोगिता भी सामने आ रही है। राज्य सचिवालय के उच्च पदस्थ विश्वस्त सूत्रों के हवाले से इस बात की पुष्टि की गई है। बताया गया है कि लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल का प्रदर्शन खराब होने की वजह से बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल का निर्देश मिला है। कुछ क्षेत्रों में तबादले किए गए हैं और कुछ क्षेत्रों में करने की योजना बनाई गई है, लेकिन इससे प्रशासनिक महकमे में गजब की नाराजगी देखी जा रही है। कई जिलों के जिलाधिकारियों ने तबादले के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने से इनकार कर दिया है और छुट्टी पर चले गए हैं। कुछ पुलिस अधीक्षकों ने भी इसी तरह से किया है। कुछ एसडीपीओ, एसडीओ और अन्य छोटे रैंक के अधिकारियों ने भी तबादले के बाद ड्यूटी ज्वाइन नहीं किया है। इन लोगों ने आधिकारिक तौर पर छुट्टी ले ली है। कई ऐसे अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है जिनका जिले में शानदार प्रशासनिक रिकॉर्ड रहा है लेकिन केवल तृणमूल के मत प्रतिशत में कमी हो जाने की वजह से उन्हें दूर के क्षेत्रों में भेज दिया गया है। प्रशासनिक तबादला अधिनियम के मुताबिक पत्नी और बच्चों के साथ रहने वाले किसी भी अधिकारी को बहुत अधिक दूर बिना वजह नहीं तबादला किया जा सकता, बावजूद इसके बंगाल सरकार ने ऐसा किया है। इससे प्रशासनिक हलके में असंतोष पसरा है और सरकार के फैसलों के क्रियान्वयन को लेकर असहयोगिता सामने आने लगी है।  राज्य सचिवालय के कार्मिक विभाग के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राज्य में कुल 344 ब्लॉक हैं जिनमें से करीब 200 ब्लॉक में तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा है। करीब 150 ऐसे ब्लॉक रहे हैं जहां तृणमूल कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी से काफी पीछे रही है। 50 ब्लॉक में प्रदर्शन सामान रहा है। इसे देखते हुए 200 ब्लॉक के बीडीओ को हटाने का निर्देश ऊपर लेवल से मिला है लेकिन बंगाल में इतने अधिक अधिकारी हैं ही नहीं कि पुराने अधिकारियों को हटाकर उनकी जगह पर नए अधिकारियों का तबादला कर दिया जाए। अगर किसी एक क्षेत्र के अधिकारी को हटाकर दूसरे क्षेत्र में भेजा जाता है तो कई ऐसे अधिकारी होंगे जिनके पहले वाले क्षेत्र में भाजपा का बेहतर प्रदर्शन रहा है। मतलब एक क्षेत्र में जहां भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया वहां के अधिकारी को अगर दूसरे क्षेत्र में भेजा जाए तो ऐसा भी संभव हो सकता है कि वहां भी भाजपा का प्रदर्शन बेहतर हो जाए। इसका कोई तोड़ नहीं है। इसलिए राज्य सरकार को खुश कर पाना संभव नहीं। इसके अलावा कई जिलों के जिलाधिकारियों का तबादला हो गया है और अतिरिक्त जिला अधिकारी रैंक के अधिकारियों के तबादले का भी निर्देश दिए गए हैं।

 सरकार के पास केवल 30 नए अधिकारी हैं
समस्या यह है कि गिन चुन कर पश्चिम बंगाल में केवल 30 नए अधिकारी हैं जो तृणमूल के खराब प्रदर्शन वाले क्षेत्रों में डैमेज कंट्रोल के लिए नियुक्त किए जा सकते हैं। लेकिन अधिकतर क्षेत्रों में यह संभव नहीं होगा। इसलिए एक तरफ सत्तारूढ़ पार्टी नाराज हुए बैठी है तो दूसरी तरफ अधिकारियों पर गाज गिरने से प्रशासनिक तबके में गंभीर असंतोष पनपने लगा है। वैसे भी लोकसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार के 70 लाख लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया है। 2020 में  नगरपालिका तथा 2021 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी मोल लेना तृणमूल के लिए और अधिक नुकसानदायक साबित होगी। इसे ध्यान में रखते हुए पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी अंदर खाने बैठक शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि सोमवार को सचिवालय में मंत्रियों और विधायकों के साथ मुख्यमंत्री की बैठक भी इस दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। उक्त अधिकारी ने यह भी बताया कि उत्तर बंगाल में अलीपुरद्वार से लेकर मालदा तक एक भी सीट पर तृणमूल कांग्रेस की जीत नहीं हुई। पूर्व और पश्चिम बर्दवान, हुगली और उत्तर 24 परगना में भी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। इन सभी क्षेत्रों से अधिकारियों को हटा देना और नए अधिकारियों की नियुक्ति संभव नहीं है क्योंकि अतिरिक्त संख्या में अधिकारी सरकार के पास नहीं हैं। इसके अलावा 2018 में जब पंचायत चुनाव संपन्न हुए थे तब झाड़ग्राम, पुरुलिया, नदिया, मालदा आदि जिले में तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा था और तब भी अधिकारियों का तबादला बड़े पैमाने पर हुआ था। लेकिन उसका 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई असर नहीं हुआ और तृणमूल को अधिक नुकसान हुआ है। फिर भी ऊपर से निर्देश है कि इन क्षेत्रों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों का तबादला तत्काल प्रभाव से किया जाए। आगामी सप्ताह में इससे संबंधित निर्देशिका भी राज्य सरकार जारी कर सकती है। हालांकि जिन लोगों का पिछले एक सप्ताह के अंदर तबादला हुआ है उसमें से अधिकतर बीडीओ, एसडीओ, एसडीएम और अन्य रैंक के अधिकारियों ने छुट्टी ले ली है लेकिन नौकरी ज्वाइन नहीं की। उक्त अधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि अगर सरकार इसी तरह से अधिकारियों के खिलाफ सख्ती बरतती रही तो इससे समस्या समाधान के बजाय और बड़ी होगी।

 


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