किसानों को नहीं मना पाई सरकार, मांगों को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल शुरू

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भारतीय किसान यूनियन ने सरकार से वार्ता विफल होने के बाद बुधवार से प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। यूनियन ने तीन दिनों तक हड़ताल पर रहने का निर्णय लिया है। अगर हड़ताल निर्धारित समय तक चली तो आमजनजीवन पर इसका असर पड़ेगा।



भोपाल, 29 मई (हि.स.)। भारतीय किसान यूनियन ने सरकार से वार्ता विफल होने के बाद बुधवार से प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। यूनियन ने तीन दिनों तक हड़ताल पर रहने का निर्णय लिया है। अगर हड़ताल निर्धारित समय तक चली तो आमजनजीवन पर इसका असर पड़ेगा। दूध, सब्जी आदि के लिए जनता को परेशान होना पड़ सकता है। किसानों की इस हड़ताल ने सरकार के सामने संकट खड़ा कर दिया है। उधर, पुलिस प्रशासन पहले ही अलर्ट हो गया है और सरकार भी किसान संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है।  वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित ना हो इसके लिए कलेक्टरों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है।

भारतीय किसान यूनियन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठा है, जिसमें कर्ज माफी, समर्थन मूल्य, अपनी उपज का मूल्य तय करने के अधिकार आदि मांगों शामिल है। मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर किसान यूनियन के सदस्यों ने कृषि मंत्री सचिन यादव के साथ बैठक की थी लेकिन वार्ता विफल होने के बाद भारतीय किसान यूनियन ने बुधवार से प्रदेशव्यापी हड़ताल पर बैठ गया है। भारतीय किसान यूनियन का आरोप है कि पिछले छह महिने से सरकार किसानों के उत्थान और कर्जमाफी की बात कह रही है। हम जानना चाहते हैं कि आखिर किसका उत्थान और कितने किसानों का कर्जा माफ हुआ। चुनाव से पहले सरकार ने दो लाख तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर किसानों का कर्जा माफ हुआ है तो उन्हें नोटिस बैंकों द्वारा क्यों भेजे जा रहे हैं। किसान आज भी आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। किसानों को आज भी अपनी उपज का मूल्य नहीं मिल रहा है। किसानों को प्याज तक के सही दाम नहीं मिल रहे हैं।
यूनियन के प्रदेश महामंत्री अनिल यादव ने बताया कि चर्चा के दौरान कृषि मंत्री का रूख सकारात्मक था, लेकिन कर्जमाफी का मामला उनके अधीन नहीं है इसलिए उनके आश्वासन पर भरोसा करना मुश्किल है। मुख्यमंत्री हमसे मिलना नहीं चाहते, यदि वे मिलते तो कोई हल निकलता। वहीं किसानों का एक दूसरा संगठन राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ भी हड़ताल की तैयारी में है। महासंघ के शिवकुमार शर्मा कक्का ने बताया कि हम 1 से 5 जून तक आंदोलन की तैयारी कर रहे है। बुधवार को मुख्यमंत्री के साथ चर्चा होनी है। उसके बाद ही इस आंदोलन के बारे में निर्णय लिया जाएगा।

 


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