अलर्ट के बावजूद आपदा प्रबंधन में लापरवाह रही है बंगाल सरकार

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कोलकाता  (हि. स.)। घातक चक्रवाती तूफान ‘फानी’ को लेकर एक मई की सुबह के समय ही मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लिए अलर्ट जारी कर दिया था। उड़ीसा में उसी समय से आपदा और राहत के लिए लोगों की निकासी का काम शुरू कर दिया था लेकिन आपदा प्रबंधन को लेकर बंगाल सरकार लापरवाह रही है। दरअसल एक मई को मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में थी कम से कम 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं जो समुद्र तटीय इलाके में जानमाल के लिए काफी नुकसानदायक साबित होंगी। ऐसे में सरकार को तत्काल तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया जाना चाहिए लेकिन एक मई को सारा दिन राज्य सरकार इस मामले में शिथिल बनी रही और दो मई को शाम तक राज्य सचिवालय में इसे लेकर कई दौर की बैठक हुई जिसके बाद मुख्य सचिव मलय दे ने एक विज्ञप्ति जारी कर अलर्ट से संबंधित कार्रवाई की खानापूर्ति की है। उसमें राज्य सरकार ने समुद्र तटीय इलाकों में मिट्टी के घरों और कमजोर घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर चले जाने को कहा है लेकिन कायदे से आपदा प्रबंधन विभाग ने स्पष्ट किया है कि राज्य प्रशासन को क्षेत्रों में तत्परता से जुटकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना होगा।
मौसम विभाग के मुताबिक तीन मई को पश्चिम बंगाल में तूफान और बारिश शुरू हो जाएगा लेकिन अभी तक आधिकारिक तौर पर राज्य प्रशासन ने उत्तर और दक्षिण 24 परगना, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, झाड़ग्राम जैसे समुद्र तटीय क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की शुरुआत नहीं की है। यह लापरवाही विशेष रूप से तब है जब आज शाम 5.30 फानी पुरी के बमुश्किल 275 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में बजे तक 225 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अंदर की ओर बढ़ रहा है।
मौसम विभाग के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि अपने नवीनतम बुलेटिन में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान ओडिशा को कल 3 मई को 200 किमी प्रति घंटे की गति से पुरी के पास पार करने की संभावना है। पुरी, बंगाल के समुद्री रिसॉर्ट दीघा से सुर्फ 340 किमी दूर है। जिस दिशा में फानी आगे बढ़ रही है, उसे देखते हुए, बंगाल में तटीय जिलों में बहुत तेज़ बारिश और कम से कम 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफान आने की संभावना है। ऐसा होने की स्थिति में, क्या बंगाल समय पर निकासी पूरा कर पाएगा?
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्य प्रशासन ने मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन के कल जारी की गई एडवाइजरी पर कार्रवाई क्यों नहीं की और इतना अधिक समय क्यों नष्ट किया? अगर तूफान घातक होता है तो भारी जानमाल का नुकसान होगा और इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
राज्य सरकार, हालांकि, इस बात पर जोर दे रही है कि जिलों को पर्याप्त राहत सामग्री उपलब्ध कराई गई है और आपदा के समय समस्या नहीं होनी चाहिए।
शासन ने कल 3 मई से दो दिनों के लिए कोलकाता सहित आठ जिलों में सभी नौका सेवाओं और नौकाओं के ठहराव का आदेश दिया है। आठ जिले जहां नाव और नौका सेवाएं तीन और चार मई को निलंबित रहेंगी वे हैं कोलकाता, दक्षिण 24-परगना, उत्तर 24-परगना, पूर्वी मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, झारग्राम, हावड़ा और हुगली।
चक्रवात के मद्देनजर 2-5 मई से काम करने के लिए सचिवालय में 24 घंटे का नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इसका फोन नंबर है- 1070 और 2253-5185 है।
एनडीआरएफ की छह टीमों के अलावा, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की तीन टीमें दक्षिण 24-परगना के बसंती, पूर्वी मिदनापुर के कांथी हल्दिया और हुगली के आरामबाग में तैनात की गई हैं।‌ एक एसडीआरएफ टीम को हावड़ा स्टेट सचिवालय में संरक्षित रखा गया है ताकि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें भी काम में लगाया जा सके।


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