लोकसभा चुनाव 2019: भाजपा को शिमला संसदीय सीट बचाने की चुनौती

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शिमला, 02 मई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश की एकमात्र आरक्षित शिमला लोकसभा सीट पर इस बार भी भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। कांग्रेस के सामने अपने गढ़ में वापसी की चुनौती है तो भाजपा के सामने एक बार फिर से 2014 की जीत दोहराने का दबाव है। कांग्रेस के धनीराम शांडिल के मुकाबले भाजपा ने यहां से युवा चेहरे सुरेश कश्यप को मैदान में उतारा है। शांडिल यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं।
खास बात यह है कि कांग्रेस और भाजपा ने अपने वर्तमान विधायकों पर दांव खेला है। शांडिल सोलन और कश्यप पच्छाद से विधायक हैं। साल 1998 और 2003 में यहां से दो बार सांसद चुने गए कांग्रेस के धनीराम शांडिल और भाजपा के सुरेश कश्यप के बीच नजदीकी मुकाबला होने की उम्मीद है। सुरेश कश्यप पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने यहां सत्ता विरोधी लहर को भांपते हुए मौजूदा सांसद वीरेंद्र कश्यप को टिकट नहीं दिया। कांग्रेस के प्रभुत्व वाले इस संसदीय क्षेत्र में वीरेंद्र कश्यप ने साल 2009 और 2014 में भाजपा को जीत दिलाकर सबको अचंभित कर दिया था।
भाजपा उम्मीदवार सुरेश कश्यप को उम्मीद है कि इस सीट पर भाजपा अपनी जीत का सिलसिला जारी रखेंगी और इस बार जीत की हैट्रिक लगेगी। वह कहते हैं, सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिलाने और नेशनल हाइवे निर्माण में तेज़ी लाने के मुद्दे हमारी प्राथमिकताओं में शामिल हैं। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार धनीराम शांडिल का कहना है कि दो बार सांसद रहते हुए उन्होंने इस संसदीय क्षेत्र की सड़कों समेत अन्य मूलभूत समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया था। इस बार भी सांसद बनने पर वह संसदीय क्षेत्र में सड़कों की खस्ता हालत व गिरिपार को जनजातीय दर्जा देने, संसदीय क्षेत्र में पर्यटन और रेलवे निर्माण के ज्वलंत मुददों को प्रमुखता से उठाएंगे।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश की यह एकमात्र ऐसी संसदीय सीट है, जिस पर कांग्रेस के सांसद ने लगातार छह बार विजय हासिल कर कीर्तिमान बनाया है। कांग्रेस के कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी ने वर्ष 1980 से लेकर 1998 तक लगातार छह बार जीत दर्ज की थी। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों की 17 सीटें आती हैं। यहां 12,23,290 मतदाता है। यहां पुरुष 633544 जबकि महिलाएं वोटरों की संख्या 589712 है।


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