पाकिस्तान में खालिस्तानी समर्थकों पर सरकार की सख्ती, गोपाल चावला के भी तेवर बदले

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अमृतसर, 13 अप्रैल ( हि.स.)। ये भारत की कूटनीति का ही प्रभाव है कि पाकिस्तान में खालिस्तान समर्थक और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव गोपाल सिंह चावला ने अपने तेवर बदल लिये हैं। दहशत की भाषा बोलने वाले चावला ने अबकी पाकिस्तान आने वाली सिख संगतों का स्वागत किया है।
पहले भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले चावला फिलहाल खालिस्तान के पोस्टरों से अलग नज़र आ रहे हैं। भारत से गए सिख जत्थों ने बताया कि पहले की तरह अबकी पाकिस्तान के गुरुद्वारों में खालिस्तान की बात नहीं थी। शनिवार को पाकिस्तान के गुरुद्वारा पंजा साहिब में बैसाखी शोभायात्रा में खालिस्तानी नारे नहीं लगे।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ही नहीं बल्कि कनाडा में भी सक्रिय मुट्ठी भर खालिस्तान समर्थकों की वजह से भारत समेत पूरे विश्व में सिखों की राष्ट्रीयता पर आ रही आंच के विरुद्ध छोटे-छोटे सिख संगठनों ने लामबंद होना शुरू कर दिया है। यह इसी का असर है कि कनाडा की संसद के हाउस ऑफ कॉमन में सिख आतंकवादियों के ‘टैग’ तो बदलने के प्रयास होने लगे है। कनाडा के जन सुरक्षा मंत्री राल्फ गूडले ने सदन में मांग की कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, इसलिए ऐसे लोगों को सिर्फ आतंकवादी कहा जाए। किसी धर्म के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
भारत द्वारा करतारपुर कॉरिडोर मामले पर पाकिस्तान के साथ दो अप्रैल को रद्द की गई द्विपक्षीय वार्ता की वजह भी पाकिस्तान में खालिस्तान को प्रोत्साहन दे रही शक्तियां थीं। भारत के विदेशों में भी कूटनीतिक प्रयासों के बाद पाकिस्तान सरकार ने वहां की जमीन पर चल रहे खालिस्तान बनाने के प्रयासों पर अंकुश लगाना शरू कर दिया है।
भारत से बैसाखी मनाने के लिए सिख श्रद्धालुओं का जत्था 12 अप्रैल को पाकिस्तान पहुंच गया था, जो वहां 21 अप्रैल तक रहेगा। पाकिस्तान ने इसके लिए भारत से 2200 लोगों को वीजा जारी किया है जबकि अन्य देशों से आने वाली सिख संगत की संख्या अलग है। इस यात्रा में सिख संगत पवित्र स्थान पंजा साहिब, ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब के गुरुद्वारों के दर्शन करने जाएगी। सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान सरकार इस बार ऐसे लोगों पर सख्ती रखे हुए है, जो किसी सिख त्योहार पर खालिस्तान का हो हल्ला मचाते रहे हैं।

 


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