सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर व्यक्ति तक पहुंचे विकासः प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली, 10 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर के जनप्रतिनिधियों से कहा कि सामाजिक न्याय की अवधारणा तब तक होगी नहीं होगी जब तक हर व्यक्ति तक विकास का लाभ न पहुंचे । प्रधानमंत्री ने समाज के वंचित, शोषित तबके तक विकास पहुंचाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अब जनता में राजनीति को लेकर नजरिया बदला है। संघर्ष और आंदोलन की राजनीति की बजाय जनता अब यह देख रही है कि उनकी आकांक्षाओं पर कौन खरा उतर रहा है, कौन उनके दुख-सुख में साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात शनिवार को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राज्यों की विधानसभा और विधान परिषद के कुछ चुने हुए सदस्यों को संबोधित करते हुए कही।

भारतीय संसदीय समूहकी ओर से आयोजित इस दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मेलन’ में देश भर के सभी राज्यों से चुने हुए 170 से ज्यादा निर्वाचित प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने की। उद्घाटन समारोह में अनेक केन्द्रीय मंत्री व सांसद तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी उपस्थित थे। उद्धाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमें कोशिश करनी होगी कि जनता के जीवन को बेहतर बनाने और समाज के विकास के लिए हम उनके साथ खड़े हों। हम बदलाव की ओर एक कदम बढ़ाएंगे और व्यवस्था में बदलाव दिखने लगेगा। श्री मोदी ने कहा कि आज संसद के जिस केंद्रीय कक्ष में हम बैठे हैं इसी जगह पर संविधान सभा के सदस्यों ने बैठकर भारत का संविधान तैयार किया था। हमारे संविधान निर्माताओं ने गहन चिंतन करके सामाजिक न्याय की अवधारणा पर आधारित समाज के निर्माण की भूमिका तैयार की थी। हमारे संविधान की विशेषता धाराओं, अधिकारों के विभाजन के कारण नहीं है बल्कि देश में जो बुराइयां थीं उनसे मुक्ति दिलाने की व्यवस्था है ।

श्री मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय का एक दायरा भी है। वह यह कि अगर एक घर में बिजली है तो बगल के घर में भी होनी चाहिए। एक जिले में विकास काम बेहतर हो रहा तो दूसरे में भी बेहतर होना चाहिए । हर जिले का समान विकास और हर व्यक्ति की आकांक्षाओं को पूरा किये बिना सामाजिक न्याय की अवधारणा अधूरी है। सामाजिक न्याय तभी सुनिश्चित होगा जब जनभागीदारी से सबका विकास होगा। सामाजिक न्याय का सिद्धांत हम सबको इस दायित्व के लिए प्रेरित करता है। श्री मोदी ने विकास की दौड़ में पिछड़ गये देश के 115 जिलों में पिछड़ेपन के कारणों का पता लगाने की जरूरत पर जोर देते हुए ने कहा देश मे संसाधनों की कमी नहीं है तथा बजट बढ़ाने की जरूरत नहीं है। पुराने बजट में ही बेहतर योजनाएं तैयार करके उनको सुशासन, निगरानी, जनभागीदारी और एकजुट होकर मिशन मोड में काम करके योजनाओं का जमान पर लागू कर इन जिलों की स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है ।

आज जो जिले पिछड़ रहे हैं उनका कारण सटीक योजना, क्रियांवयन और जनभागीदारी का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज संघीय प्रतिस्पर्धा का माहौल है। हर राज्य दूसरे राज्य के मुकाबले विकास की दौड़ में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने देश भर की विधानसभाओं और विधान परिषदों से आए प्रतिनिधियों से कहा कि विधायक और जनप्रतिनिधि के नाते आज आप प्रण लें तो देखिए कि आने वाले दिनों नें आपका जिला, विधानसभा क्षेत्र किस प्रकार बदलाव की ओर बढ़ लेगा। उन्होंने कहा कि हमें देश में पिछड़ेपन की नही अगड़ेपन की प्रतिस्पर्धा करनी है। सबके लिए समान विकास का भाव मन में लेकर चलें तो निश्चित रूप से बदलाव आएगा । पिछड़े जिलों में ऊर्जावान अधिकारियों को तैनात करने पर बेहतर नतीजे प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि उनका अपना अनुभव है कि एक आयु के बाद जिलाधिकारी अपने निजी दायित्व और दूसरे जोड़तोड़ में उलझ जाते हैं। जबकि 25 से 35 वर्ष तक की आयु के जिलाधिकारी ऊर्जावान होते हैं और वह नई सोच के साथ पिछड़े इलाकों में काम कर बेहतर परिणाम देते हैं। श्री मोदी ने कहा कि वह इस बारे में राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत कर रहे हैं कि वे अपने राज्य के पिछड़े जिलों में युवा और ऊर्जावान जिलाधिकारियों की नियुक्ति करें ।


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