सुषमा स्वराज ने छात्रों को दी हिंदी और चीनी भाषा सीखने की सलाह

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बीजिंग, 23 अप्रैल (हि.स.)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां सोमवार को आयोजित ‘भारत-चीन मैत्री में हिंदी के योगदान’ कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने दोनों देशों के छात्रों को एक दूसरे की भाषा सीखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से ना केवल संपर्क अवरोध टूट जाएगा, बल्कि दो देशों के आपसी रिश्ते भी मजबूत होंगे। सुषमा ने कहा, “दो विदेश मंत्री मिलकर हमारे देश के बीच मैत्री को उतना अधिक मजबूत नहीं बना सकते हैं जितना हिंदी भाषा से प्रेम करने वाले चीन के विद्यार्थी।” चार दिवसीय चीन दौरे के तीसरे दिन विदेश मंत्री ने कहा, “ एक लड़की ने अभी बताया कि उसका सपना भारत घूमना है और उसे यह नहीं पता कि यह सपना कब सच होगा। आपका सपना जल्‍द ही सच होगा। मैंने भारतीय राजदूत से अभी अभी यहां बैठे हिंदी सीखने वाले सभी छात्रों में से 25 को भारत भेजने को कहा है।” विदेश मंत्री ‘भारत-चीन मैत्री में हिंदी के योगदान’ कार्यक्रम में कहा, “चीन में भारतीय फिल्‍मों को लोकप्रियता बढ़ रही है। मैं विदेश मंत्री वांग यी से बात कर रही थी, तभी उन्‍होंने दंगल, सीक्रेट सुपरस्‍टार और हिंदी माध्यम को यहां मिलने वाली लोकप्रियता का जिक्र किया।” उन्‍होंने कहा, “ यह हमारे लिए काफी महत्‍वपूर्ण है कि हम एक दूसरे की भाषा को समझें। जिस तरह आज हमारे बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं, इसके तहत चीनी छात्रों का हिंदी भाषा जानना और भारतीय छात्रों को मंडारिन सीखना खासा महत्‍वपूर्ण है, ताकि जब आप भारत जाएं या भारतीय चीन आएं तो उन्‍हें भाषा अवरोधों का सामना नहीं करना पड़े।” चीन पहुंची सुषमा स्वराज 24 अप्रैल को शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) में हिस्सा लेंगी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी एससीओ की बैठक में हिस्सा लेंगी। जून में किंगदाओ में होने वाली एससीओ समिट की तैयारियों के लिहाज से भी यह बैठक महत्वपूर्ण है। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भारत और पाकिस्तान के 2017 में एससीओ में शामिल होने के बाद दोनों देशों की मौजूदगी में यह पहली बैठक है।


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