एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए 6 अप्रैल तक मांगे सुझाव

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नई दिल्ली, 15 मार्च (हि.स.)। केंद्र सरकार राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के मौजूदा भारी स्कूली पाठ्यक्रम को कम करके युक्तिसंगत बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए सरकार ने हितधारकों से 6 अप्रैल तक सुझाव आमंत्रित किए हैं। यह जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के बोझ को कम करने के लिए योजना के संबंध में बताया कि विषय क्षेत्रों और कक्षाओं से संबंधित एनसीईआरटी पाठ्यक्रमों तथा पाठ्यपुस्तकों का विश्लेषण किया जाएगा। इसमें अधिगम निष्कर्ष, कक्षाओं और विषयों के बीच पाठ्यचर्या तारतम्यता, कंटेंट का अतिव्यापन (विज्ञान एवं भूगोल; भौतिकी एवं रसायन शास्त्र आदि), भाषा की व्यापकता, कंटेंट की आयु – अनुरुपता और विविध प्रसंग शामिल हैं। कुशवाहा ने बताया कि पाठ्यक्रम के वजन को कम करने के संबंध में वेबपोर्टल के माध्यम से अध्यापकों, छात्रों, अभिभावकों और अन्य हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। बच्चों के समग्र विकास के लिये पाठ्यक्रम सिद्धांतों की मैंपिंग, जीवन कौशल और मूल्यों के माध्यम से प्रायोगिक शिक्षा के लिए कार्य ढांचा तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य प्रचलित व्यवस्था से एक श्रेष्ठ मानव का निर्माण करना है। ज्ञान के साथ ही साथ वास्तविक विकास के लिए, जीवन कौशल शिक्षा, मूल्य परक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, प्रायोगिक शिक्षा अनिवार्य है। सृजनात्मशक कौशल को भी पोषित किए जाने की आवश्यकता है। सभी हितधारकों से यह मांग की गई थी कि भारी पाठ्यक्रम के कारण इन सभी पक्षों के लिए कोई समय नहीं बचता है। इसके अलावा कंठस्थ शिक्षा से कोई आगे नहीं बढ़ सकता है। इसलिए स्कूल पाठ्यक्रम को भी युक्तिसंगत किया जाना चाहिए। कुशवाहा ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की (एमएचआरडी) की वेबसाइट के माध्यम से 5 मार्च 2018 को विभिन्न हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। सुझाव दिनांक 6 अप्रैल, 2018 तक दिए जा सकते हैं। एनसीईआरटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट के बारे में पाठ्यचर्या भार को युक्तिसंगत बनाने पर अपने सुझावों को भेजने हेतु हितधारक को सूचित करते हुए समाचार-पत्र में विज्ञापन भी दिया है।


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