नई दिल्ली, 02 नवम्बर (हि.स.)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नौसेना की किलो क्लास पनडुब्बियों की गोपनीय जानकारी लीक करने के मामले में नौसेना के दो सेवारत कमांडरों और दो सेवानिवृत्त अधिकारियों सहित छह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। इन सभी छह लोगों पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप लगाए गए हैं। सभी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और डिफॉल्ट जमानत मिलने से रोकने के लिए सीबीआई ने मंगलवार को चार्जशीट दाखिल की है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नौसेना की किलो क्लास पनडुब्बियों के बारे में गोपनीय जानकारी लीक होने की सूचना मिली थी। इस पर संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामलों को देखने वाली एजेंसी की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई को इस मामले की जांच सौंपी गई थी जिसके बाद दो सितम्बर को प्राथमिकी करके गोपनीय ऑपरेशन शुरू किया गया था। सीबीआई ने दूसरे दिन यानी 3 सितंबर को नौसेना से सेवानिवृत्त अधिकारी रणदीप सिंह और एसजे सिंह को गिरफ्तार किया। रणदीप सिंह के यहां तलाशी में करीब 2 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। इस साल की शुरुआत में सेवानिवृत्त हुए कमांडर एसजे सिंह एक कोरियाई कंपनी के लिए काम कर रहे हैं और उनकी भारतीय नौसेना की परियोजनाओं में रुचि है।
इनसे पूछताछ के बाद और जांच के आधार पर सीबीआई ने पश्चिमी नौसेना कमान मुख्यालय में तैनात कमांडर अजीत कुमार पांडे और उनके अधीन मुख्यालय में ही तैनात एक और सेवारत कमांडर को गिरफ्तार किया। यह दोनों कमांडर मुख्यालय में किलो-क्लास की पनडुब्बी आधुनिकीकरण परियोजना को देख रहे थे। सीबीआई सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार किये गए दोनों सेवारत कमांडर विदेशी कंपनियों के लिए काम कर रहे सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारियों को किलो क्लास सबमरीन की मरम्मत के बारे में गोपनीय व्यावसायिक जानकारी दे रहे थे। इस मामले में एक रियर एडमिरल सहित कम से कम एक दर्जन लोगों से पूछताछ की गई है।
एजेंसी ने इन सभी से मिली जानकारी के आधार पर दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में 19 स्थानों पर तलाशी ली, जहां से महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए। सीबीआई का आरोप है कि गिरफ्तार नौसेना कमांडरों ने दोनों सेवानिवृत्त अधिकारियों के साथ किलो वर्ग की पनडुब्बियों की आधुनिकीकरण परियोजना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी लीक की थी। सीबीआई ने गिरफ्तार नौसेना कमांडरों और सेवानिवृत्त कर्मियों के नियमित संपर्क में रहने वाले कई अन्य अधिकारियों और पूर्व सैनिकों से भी पूछताछ की है। इसके बाद दो अन्य प्राइवेट व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई ने इस मामले में इस्तेमाल किए गए डिजिटल साक्ष्यों का फोरेंसिक विश्लेषण कराया है। गिरफ्तार आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत मिलने से रोकने के लिए सीबीआई ने मंगलवार को चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने चार्जशीट में कहा है कि गिरफ्तार नौसेना कमांडर भारत की किलो क्लास की पनडुब्बियों के मीडियम रिफिट लाइफ सर्टिफिकेशन या एमआरएलसी कार्यक्रम की गोपनीय व्यावसायिक सूचनाएं अनधिकृत लोगों को दे रहे थे। चूंकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए सीबीआई ने 2 सितंबर को दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट या प्राथमिकी को भी सार्वजनिक नहीं किया है। सीबीआई इस मामले की उच्चतम स्तर पर जांच कर रही है।
भारतीय नौसेना ने इस जासूसी मामले की उच्च स्तरीय विभागीय जांच करने के लिए वाइस एडमिरल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम गठित की है जिसमें एक रियर एडमिरल को भी रखा गया है। जांच समिति को इस मामले की जांच करने के साथ ही भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को रोकने के तरीकों की तलाश करने और उपाय सुझाने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों ने कहा कि नौसेना की टीम ने सीबीआई के समानांतर जांच शुरू कर दी है। जांच के दायरे में नौसेना के कई जवान भी आये हैं, इसलिए उनसे भी पूछताछ की गई है। रक्षा सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने इस मामले में कई अन्य सेवारत अधिकारियों से भी पूछताछ की है जो गिरफ्तार अधिकारियों के संपर्क में थे। भारतीय नौसेना केंद्रीय एजेंसी को जांच में सहयोग कर रही है।