नई दिल्ली, 01 अक्टूबर (हि.स.)। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र की संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। प्रकाश जावड़ेकर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का लक्ष्य 26 लाख हेक्टेयर भूमि को फिर से हरा भरा करना है। इसके साथ साल 2030 तक भूमि-क्षरण तटस्थता को प्राप्त करना है। यह भारत के प्रकृति संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा करना और उसके बीच रहना भारत की संस्कृति रही है। हमारे वेद शास्त्रों में भी इसका वर्णन है। प्रकृति रक्षिति रक्षिता, यानि प्रकृति से सुरक्षा पाते रहने के लिए उसका संरक्षण करना जरूरी है।
उन्होंने महात्मा गांधी के विचार से प्रेरित होकर अहिंसा और जीव-जन्तुओं के संरक्षण को देश के संविधान में शामिल किया है, इस संबंध में कई कानून भी बनाए गए हैं। इन्हीं मान्यताओं और विश्वास के कारण विश्व का केवल 2.5 प्रतिशत भूमि होने के बावजूद हमारे देश में दुनिया का 8 प्रतिशत जैवविविधता पाई जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में भारत में 15 हजार स्क्व्यायर किलोमीटर से ज्यादा वन क्षेत्र का विस्तार हुआ है।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या भारत में है, यहां एशियाई शेर हैं, इसके साथ हमने डॉलफिन परियोजना की शुरुआत की है। हमने जैवविविधता के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 250,000 जैवविविधता प्रबंधन कमेटी जिसमें स्थानीय लोगों को शामिल किया गया है। इसके अलावा 170,000 बायोडावर्सिटी रजिस्टर तैयार किया गया है। इसके तहत स्थानीय लोगों को शामिल किया है। जैवविवधता के संरक्षण में विश्व का नेतृत्व करते हुए एक साल के अंदर भारत में दो शिखर सम्मेलन आयोजित किए गए हैं।