मंत्री नीरज कुमार व अशोक चौधरी की विधान परिषद् की सदस्यता समाप्त

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हारुण रशीद  अब नहीं रहे बिहार विधान परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष कोरोना के कहर में विप चुनाव न हो पाने की स्थिति में कुल 17 एमएलसी हो जाएंगे पैदल



पटना, 06 मई (हि.स.) । बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार बुधवार की शाम पूर्व विधान पार्षद हो गए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा और बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारूण रशीद भी अब विधान परिषद के माननीय सदस्य नहीं रहे। बिहार विधान परिषद के कुल 17 सदस्यों का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। कोरोना संकट ने उनसे माननीय की पदवी छीन ली है।

बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार समेत बिहार के 17 विधान पार्षदों का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। हालांकि किसी सदन के सदस्य न रहने के बाद भी नीरज कुमार और अशोक चौधरी मंत्री पद पर अभी बने रहेंगे। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत कोई भी व्यक्ति किसी सदन का सदस्य न रहने के बावजूद छह महीने तक मंत्री के पद पर बना रह सकता है। हालांकि इस अवधि में उसे किसी सदन का सदस्य बनना होगा। ऐसे में छह महीने में किसी सदन का सदस्य नहीं बनने पर मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है। संविधान की इस व्यवस्था के तहत नीरज कुमार और अशोक चौधरी मंत्री पद पर बने रहेंगे। हालांकि विधान पार्षद के तौर पर मिलने वाली सुविधायें समाप्त हो जायेगी।

चली गई कार्यकारी सभापति की कुर्सी

बिहार विधान परिषद के सभापति की कुर्सी भी बुधवार की शाम खाली हो गई। कार्यकारी सभापति हारूण रशीद का कार्यकाल समाप्त हो गया है। मई, 2017 से कार्यकारी सभापति की कुर्सी संभाल रहे हारूण रशीद के विधान पार्षद नहीं रहने के कारण अब परिषद के सभापति भी नहीं रह पायेंगे। बिहार विधान परिषद के इतिहास में यह तीसरा अवसर है जब सदन के प्रमुख का पद खाली रहेगा। इससे पहले 7 मई, 1980 से 13 जून, 1980 एवं 13 जनवरी 1985  से 17 जनवरी 1985 तक सभापति और उप सभापति की कुर्सी खाली रही थी। संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक विधान परिषद के सभापति और उप सभापति की कुर्सी खाली रहने पर दोनों की शक्तियां राज्यपाल में निहित हो जाती हैं।

कोरोना संकट के कारण टला चुनाव

दरअसल, विधान परिषद की खाली होने वाली 17 सीटों में आठ सीटें शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की हैं। बाकी नौ सदस्य विधान सभा कोटे से हैं। यानि विधायकों के वोट से विधान पार्षद को चुना गया था। इन सारी सीटों पर अप्रैल में ही चुनाव करा लेना था लेकिन कोरोना संकट और लॉकडाउन की पाबंदियों के कारण चुनाव आयोग ने विगत 3 अप्रैल को ही इन सीटों के लिए मतदान कराने से इनकार कर दिया था। संकट यह भी है कि 23 मई को राज्यपाल द्वारा मनोनीत 12 सीटें भी खाली हो जायेंगी। हालांकि इसमें किसी चुनाव की बाध्यता नहीं है। लिहाजा राज्यपाल विधान पार्षदों का मनोनयन कर सकते हैं।

इन विधान पार्षदों का कार्यकाल हो गया समाप्त

बिहार विधान परिषद के इन सदस्यों का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया है। स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से पटना से नीरज कुमार, तिरहुत से देवेश चंद्र ठाकुर, दरभंगा से दिलीप चौधरी और कोसी से एन के यादव। वहीं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से पटना से चुने गये नवल किशोर यादव, तिरहुत से चुने गये संजय कुमार सिंह, दरभंगा से चुने गये मदन मोहन झा और सारण से चुने गये केदारनाथ पांडेय का कार्यकाल समाप्त हो गया है। वहीं, विधान सभा कोटे से चुने गये जदयू के अशोक चौधरी, हारूण रशीद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता और हीरा प्रसाद बिंद के साथ-साथ भाजपा के कृष्ण कुमार सिंह, संजय मयूख और राधामोहन शर्मा का कार्यकाल भी बुधवार को समाप्त हो गया।

 


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