अहमदाबाद/राजकोट, 07 जनवरी (हि.स.)। राजकोट के सिविल अस्पताल में स्थित केटी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में जनवरी के पहले पांच दिनों में 13 और बच्चों की मौत हो गई है। सोमवार की रात में ही 4 बच्चों की मौत हुई है। इससे पहले दिसम्बर माह में 111 बच्चों की मौत होने के बाद यह मामला चर्चा में आया था। अभी भी दो और बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए अस्पताल के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया है। मीडिया को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
सिविल अस्पताल में भर्ती बच्चों को उनके परिजन दूसरे अस्पतालों में ले जा रहे हैं। सोमवार को ही यहां से 51 परिवार अपने बच्चों को इस डर से दूसरे अस्पतालों में ले गए। एनआईसीयू में बच्चों की देखभाल करने के बेहतर इंतजाम न होने से लगातार मौतें हो रही हैं। वर्ष 2019 में राजकोट के सिविल अस्पताल में 1235 बच्चों की मौत हुई हैं। डॉ. राकेश पटेल का कहना है कि एनआईसीयू में संक्रमण नियंत्रण, हाइपोथर्मिया की रोकथाम और गर्भ में बच्चे की पोषण संबंधी देखभाल के इंतजाम होते हैं। उनके अस्पताल में हर दो नवजात शिशुओं पर एक नर्स होती है। एक नर्स आपातकालीन स्थिति के लिए होती है। 2 मेडिकल ऑफिसर और एक को-ऑर्डिनेटर ड्यूटी की निगरानी करते हैं, इसलिए हर महीने केवल 1 प्रतिशत मौतें होती हैं।
डॉ. यग्नेश पोपट ने कहा कि बच्चे की नाड़ी और सांस की लगातार जांच की जाती है। शरीर का तापमान गर्म रखा जाता है और मां का दूध 1-1 एमएल गिनकर दिया जाता है, ताकि इससे बच्चे को नुकसान न पहुंचे।राजकोट के केटी बाल चिकित्सालय में 45 वार्मरों में 54 बच्चो को रखा जाता हैं। प्रति दो बच्चों पर एक नर्स होती है। सिविल अस्पताल में 35 नर्स हैं जो अलग-अलग शिफ्ट में काम करती हैं।