…जब हाथी के आगे चुनावी अखाड़े में बुरी तरह लहूलुहान हुआ था पंजा
-आपसी अन्तर्कलह से ढह चुका है कांग्रेस का मजबूत गढ़
– पिछले विधानसभा चुनाव में भी जोर का झटका खा चुका है पंजा- चुनावी घमासान में सपा-बसपा गठबंधन को झटका देने को जोड़-तोड़ शुरू
-पंकज मिश्रा
हमीरपुर, 23 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट के लिये चुनावी घमासान तेज हो चुका है। भितरघात की मार खा रही कांग्रेस चुनावी अखाड़े में सपा-बसपा गठबंधन को धूल चटाने के लिये एड़ी चोटी जोर लगाये है मगर जातीयता का रंग उड़ने से उनमें झटपटाहट भी देखी जा रही है। भाजपा भी अपनी सीट बचाने के लिये कांग्रेस और गठबंधन उम्मीदवार को सीधे फाइट दे रही है।पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिले मतों पर नजर डालें तो 1977 में हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से उसे सर्वाधिक 27168 मत मिले थे जबकि मौदहा विधानसभा क्षेत्र से 23459 मत कांग्रेस की झोली में गिरे थे। राठ विधानसभा क्षेत्र में भी रिकार्ड तोड़ 36090 मत कांग्रेस को मिले थे। वर्ष 1980 के चुनाव में भी हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने 31721 मत झटके थे जबकि मौदहा क्षेत्र से 22043 मत तथा राठ विधानसभा क्षेत्र से सर्वाधिक 44324 मत कांग्रेस के पाले में आये थे। वर्ष 1985 के चुनाव में भी कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। उसे हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से 29939 मत मिले थे। मौदहा विधानसभा क्षेत्र से भी कांग्रेस को 17422 मत तथा राठ क्षेत्र से 32226 मत प्राप्त हुये थे।
इसके बाद 1989 के चुनाव में कांग्रेस का मजबूत किला ऐसा ढहा कि उसे हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से मात्र 11466 मत ही मिल सके जबकि मौदहा क्षेत्र से 27652 व राठ विधानसभा क्षेत्र से 28667 मत कांग्रेस की झोली में आ सके। वर्ष 1991 के चुनाव में कांग्रेस हमीरपुर ही नहीं संसदीय क्षेत्र से ही साफ हो गयी। उसका मजबूत किला भी तहस-नहस हो गया। हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को सिर्फ 9070 मत हासिल हुये बल्कि कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी को यहां अपनी जमानत तक जब्त करानी पड़ी। 1991 के चुनाव में मौदहा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने 12155 मत झटके जबकि राठ विधानसभा क्षेत्र में थोड़ा अच्छा प्रदर्शन कर 20591 मत बटोरने में कांग्रेस कामयाब रही।1993 के चुनाव में हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई जिसके कारण उसे 12083 मत हासिल हुये जबकि मौदहा विधानसभा क्षेत्र में 16373 मत तथा राठ विधानसभा क्षेत्र में 8155 मत ही कांग्रेस की किस्मत में आ सके। वर्ष 1996 के चुनाव में भी कांग्रेस न सिर्फ चौथे स्थान पर सिमट गयी बल्कि उसे अपनी जमानत बचाने के भी लाले पड़ गये थे। वर्ष 2002 के चुनाव परिणामों पर कांग्रेस की स्थिति पर गौर करें तो हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का वोटों का ग्राफ इतना गिर गया कि वह अपना मुंह दिखाने लायक भी नहीं रही। उसे यहां से मात्र 5048 मत मिल सके जबकि मौदहा विधानसभा क्षेत्र से 2816 मत तथा राठ विधानसभा क्षेत्र से केवल 3249 मत ही मिल पाये। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर ही नहीं संसदीय क्षेत्र के महोबा और आसपास के इलाकों से भी कांग्रेस का सफाया हो गया था।
जमीन से रसातल में पहुंची कांग्रेस ने 2007 के चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगाया मगर हाथी के आगे चुनावी अखाड़े में पंजा बुरी तरह से लहूलुहान हो गया। उसे हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से 6898 मत मिल सके जबकि मौदहा विधानसभा क्षेत्र से 2196 तथा राठ विधानसभा क्षेत्र से 4890 मत ही किसी तरह मिल पाये थे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से साध्वी निरंजन ज्योति निर्वाचित हुईं थी। उन्हें 63481 मत मिले थे और कांग्रेस के खाते में 30365 मत आये थे। राठ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को सीट गयादीन अनुरागी के कारण नसीब हुई थी क्योंकि उम्मीदवार को अपनी बेदाग छवि के कारण सभी वर्गों का वोट मिला था।साध्वीं निरंजन ज्योति के फतेहपुर से लोकसभा के चुनाव में निर्वाचित होने पर हमीरपुर सदर सीट पर वर्ष 2014 में उपचुनाव कराये गये थे जिसमें यहां की सीट पर सपा ने कब्जा कर लिया था। वर्ष 2017 में मोदी की आंधी में हमीरपुर सदर और राठ सीट पर भाजपा का कमल खिला था। यहां कांग्रेस फिर बैक फुट पर आ गयी। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मिले वोटों पर नजर डाले तो 1991 में ही कांग्रेस की संसदीय क्षेत्र में उल्टी गिनती शुरू हो गयी थी।
देश में हुये पहले लोकसभा चुनाव में 1952 में कांग्रेस ने 32.7 फीसदी मत झटककर तिरंगा फहराया था जबकि 1957 में 28.6, 1962 में 47.9, 1967 में 54,1, 1971 में 31.0, 1977 में 27.5, 1980 में 44.2, 1989 में 28.3, 1991 में 18.4, 1996 में 7.12, 1998 में 5.09 व 1999 में कांग्रेस को मात्र 1.47 फीसदी मत मिल सके। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 111673 मत बटोरे थे जबकि वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर दूसरा स्थान हासिल करने में कामयाब रही थी। उसे 173639 मत मिल थे जो अपने में एक रिकार्ड भी था। जानकारों का कहना है कि यदि गुटबाजी का खेल नहीं खेला जाता तो कांग्रेस इस संसदीय क्षेत्र में जीत का परचम जरूर फहराती।विधानसभा व लोकसभा चुनाव की तस्वीर यही बताती है कि इस जिले में कांग्रेस को रसातल से जमीन पर लाने के लिये भले ही कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने संसदीय क्षेत्र के राठ, महोबा और अन्य इलाकों में नुक्कड़ सभा करने की तैयारी की है लेकिन चुनावी क्षितिज पर इतना आसान नहीं लगता कि वह अपने परम्परागत गढ़ पर फिर से कब्जा कर सके। संसदीय चुनाव में अब जब पांच दिन बचे हैं तो ऐसे में लगता है कि यहां भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है। भाजपा अपनी प्रतिष्ठा की सीट बचाने के लिये दिन रात एड़ी चोटी का जोर लगा रही है मगर मतदाताओं की चुप्पी देख भाजपा उम्मीदवार की चेहरे से रौनक गायब नजर आ रही है।
हमीरपुर जिले में कांग्रेस की स्थितिवर्ष—-हमीरपुर—-मौदहा—-राठ
1977—-27268—-23459—-360901980—-31721—-22043—-44324
1985—-29939—-17422—-322261989—-11466—-27652—-28667
1991—-9070—–12155—-205911993—-12083—-16373—-8155
2002—-5048——2816—–32492007—-6898——2196—–4890