पश्चिम रेलवे ने अब तक 1031 श्रमिक विशेष ट्रेनों से 15 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके गृहनगर पहुंचाया

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मुंबई, 26 मई (हि.स.)। सभी यात्री सेवाओं को रोकने के निर्णय के बावजूद लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके गृहनगर तक पहुंचाने वाली श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाकर पश्चिम रेलवे ने उल्लेखनीय पहल की है। साथ ही पार्सल विशेष सेवाओं के माध्यम से अत्यावश्यक सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाने का सिलसिला भी निरंतर जारी है। पश्चिम रेलवे ने अब तक लगभग 15 लाख प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारजनों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाने के लिए 1031 से अधिक श्रमिक स्पेशल गाड़ियों का परिचालन विभिन्न गंतव्यों तक किया है। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने पश्चिम रेलवे की इस शानदार उपलब्धि के लिए सभी सम्बंधित टीमों के उत्कृष्ट प्रयासों की सराहना की है और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए सभी सम्बंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी है। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी रविन्द्र भाकर के अनुसार कोरोना लॉकडाउन के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान पश्चिम रेलवे ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने शानदार निष्पादन के माध्यम से कार्य के प्रति निष्ठा, समर्पण और कड़ी मेहनत के जज्बे का बखूबी प्रदर्शन किया है।
2 से 25 मई तक 1031 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन
2 मई, 2020 से 25 मई, 2020 तक, पश्चिम रेलवे ने सामाजिक दूरी के सभी मानदंडों का पालन करते हुए 1031 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया है। इनमें से, मुंबई डिवीजन ने 550 ट्रेनें चलाईं और अहमदाबाद मंडल ने 243 ट्रेनें चलाईं, जबकि शेष ट्रेनें पश्चिम रेलवे के वड़ोदरा, भावनगर, राजकोट और रतलाम डिवीजनों द्वारा परिचालित की गईं। इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के चलने से, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, गुजरात, मणिपुर और जम्मू और कश्मीर जैसे राज्यों में 15 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर और उनके परिवार सुरक्षित रूप से अपने गृहनगर पहुंच गए हैं। 25 मई, 2020 को, कुल 60 ट्रेनें निर्धारित शेड्यूल के अनुसार चलाई गईं और इस प्रकार अब तक पश्चिम रेलवे द्वारा परिचालित 1031 श्रमिक स्पेशल गाड़ियों ने लगभग 15 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके मूल राज्यों में पहुंचाया है। 25 मई, 2020 को परिचालित 60 ट्रेनों में से, कुल 25 ट्रेनें उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुईं, वहीं बिहार के लिए 18, ओडिशा के लिए 8, झारखंड के लिए 4 और केरल, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए एक-एक ट्रेन अपनी मंजिलों की ओर रवाना हुईं।
कठिन समय में जारी पार्सल स्पेशल ट्रेनों का सफर
पश्चिम रेलवे द्वारा 22 मार्च से 24 मई, 2020 तक मालगाड़ियों के कुल 4567 रेकों का उपयोग 9.22 मिलियन टन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए किया गया है। 9025 मालगाड़ियों को अन्य रेलवे के साथ जोड़ा गया, जिनमें 4542 ट्रेनें सौंपी गईं और 4483 ट्रेनों को अलग-अलग इंटरचेंज पॉइंट पर ले जाया गया। दूध पाउडर, तरल दूध, चिकित्सा आपूर्ति और अन्य सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं जैसी आवश्यक सामग्री की मांगों का सामना करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में पार्सल वैन/रेलवे दूध टैंकरों (आरएमटी) के 267 मिलेनियम पार्सल रेक भेजे गए हैं। गौरतलब है, कि 23 मार्च से 24 मई 2020 तक, वेस्टर्न रेलवे द्वारा 266 पार्सल विशेष ट्रेनों के माध्यम से 40 हजार टन से अधिक वजन वाली वस्तुओं का परिवहन किया गया है, जिनमें कृषि उपज, दवाएं, मछली, दूध आदि मुख्य रूप से शामिल हैं। इस परिवहन से लगभग 12.22 करोड़ रु. की आय हुई है, जिसके अंतर्गत पश्चिम रेलवे द्वारा बत्तीस दुग्ध विशेष रेलगाड़ियां चलाई गईं, जिनमें 23,500 टन से अधिक भार और वैगनों के 100% उपयोग से लगभग 4.04 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। इसी प्रकार, 230 कोविड -19 विशेष पार्सल ट्रेनें भी आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए चलाई गईं, जिनके लिए अर्जित राजस्व 7.41 करोड़ रुपये से अधिक था। इनके अलावा, लगभग 78 लाख रु. की आय के लिए 100% उपयोग के साथ 4 इंडेंटेड रेक भी चलाए गए। मार्च 2020 से शुरू होकर, अब तक उपनगरीय और गैर-उपनगरीय खंडों सहित सम्पूर्ण पश्चिम रेलवे पर कुल कमाई का लॉकडाउन के कारण अनुमानित नुकसान 1016.39 करोड़ रु. रहा है। इसके बावजूद, टिकटों के निरस्तीकरण के परिणामस्वरूप, पश्चिम रेलवे ने 280.69 करोड़ रुपये की रिफंड राशि वापस करना सुनिश्चित किया है। गौरतलब है कि इस रिफंड राशि में अकेले मुंबई डिवीजन ने 134.78 करोड़ रुपये का रिफंड सुनिश्चित किया है। अब तक, 43.07 लाख यात्रियों ने पूरी पश्चिम रेलवे पर अपने टिकट रद्द कर दिये हैं और तदनुसार अपनी रिफंड राशि प्राप्त की है।
द फ्रंटलाइन वॉरियर्स : मेडिकल फ्रेटरनिटी ऑफ वेस्टर्न रेलवे
कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक युद्ध में, चिकित्सा बिरादरी के बहादुर कर्मवीर हमारे सच्चे नायक हैं। मुंबई सेंट्रल स्थित पश्चिम रेलवे के 361 बेड वाले जगजीवन राम अस्पताल (JRH) को 172 बेड वाले COVID अस्पताल में बदल दिया गया है और COVID- 19 पॉजिटिव वाले विभिन्न मरीजों को 5 अप्रैल, 2020 से इस अस्पताल में भर्ती और उपचारित किया जा रहा है। इस अस्पताल में अभी तक कुल 555 कोरोनावायरस रोगियों का इलाज किया गया है, जिनमें से कुल 341 मामले सकारात्मक थे और इलाज के बाद 179 रोगियों को छुट्टी दे दी गई है। अन्य 150 संदिग्ध मामलों को भी उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। रोगियों के उचित इतिहास के आधार पर रोगियों और रिश्तेदारों दोनों के लिए परामर्श के साथ उन्हें भर्ती किया जाता है। जेआरएच की टीम ने इस चुनौतीपूर्ण समय में आइसोलेशन वार्डों में इनडोर रोगियों और कर्मचारियों के लिए विशेष उपाय किए हैं। पश्चिम रेलवे अपने तमाम मेडिकल वॉरियर्स के समर्पण, लगन और साहस को सलाम करती है।
रेलवे सुरक्षा बल : रेलवे के निर्भीक रक्षक
पश्चिम रेलवे के रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान असाधारण काम दिखाया है। आरपीएफ ने जरूरतमंदों और गरीबों को खाने के लाखों निःशुल्क पैकेट बांटे हैं। आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाली विशेष पार्सल गाड़ियों में भी आरपीएफ के जवान मुस्तैदी से ड्यूटी दे रहे हैं। आरपीएफ पोस्टों को प्रतिदिन सैनिटाइज किया जाता है, जबकि बैरक को सप्ताह में दो बार सैनिटाइज किया जा रहा है। इसके अलावा, कीटाणुनाशक के साथ स्प्रिंकलर खरीदे गए हैं और पोस्ट/बैरक में उपलब्ध कराए गए हैं, जो जरूरत पड़ने पर सफाई के लिए कर्मचारियों द्वारा उपयोग में लाये जा रहे हैं। आरपीएफ ने कर्मचारियों के बीच पर्याप्त संख्या में पीपीई, मास्क, दस्ताने, हैंड सैनिटाइजर, लिक्विड सोप आदि की खरीद और वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रत्येक जीओ को 2/3 बैरक सौंपे गए हैं, जिनका वह सप्ताह में दो बार दौरा कर रहा है, ताकि स्वच्छता की जांच के साथ-साथ मेस में भोजन बनाने की स्थिति का भी पता लगाया जा सके। ऐसी यात्राओं के दौरान लिक्विड सोप, मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर आदि की आपूर्ति/उपलब्धता की भी जांच की जाती है। इस तरह के निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों के साथ बातचीत और संवेदीकरण भी किया जा रहा है, ताकि उनके हौसले बुलंद रहें। आरपीएफ ने 50 वर्ष की आयु से ऊपर के कर्मचारियों की पुरानी बीमारियों की पहचान की है और स्टेशनों एवं कार्यालयों, यार्ड गश्त, ट्रेन एस्कॉर्टिंग आदि के दौरान ऐसे स्टाफ की स्क्रीनिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। COVID पॉजिटिव रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक PPE की व्यवस्था की गई है और JRH में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों के लिए अलग-अलग आवास/मेस की सुविधा की भी व्यवस्था की गई है। एहतियात के तौर पर अन्य RPF कर्मचारियों से अलग करने की दृष्टि से खास ध्यान दिया जा रहा है। सभी तैनात आरपीएफ जवान वहां काम कर रहे रेलवे पैरामेडिक्स को प्रभावी सहायता प्रदान कर रहे हैं।
वेस्टर्न रेलवे के कारखानों का बड़ा योगदा
भारत में कोरोनावायरस महामारी के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पश्चिम रेलवे के कारखानों ने फ्रंटलाइन योद्धाओं के लिए पीपीई किट और अन्य सामग्रियों की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रेरणादायक भूमिका निभाई है। घातक कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए चिकित्सा बिरादरी के उपयोग हेतु पश्चिम रेलवे के सामग्री प्रबंधन विभाग ने मेडिकल विभाग के साथ मिलकर, COIDID-19 महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए डॉक्टरों, पैरामेडिक्स और रोगियों के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए मुख्यालय, जिला और मंडल अधिकारियों की एक समर्पित टीम के साथ उल्लेखनीय योगदान सुनिश्चित किया है। सभी प्रयासों के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए उत्कृष्ट परिणाम उत्पन्न हुए हैं, न केवल पीपीई के रूप में, बल्कि आइसोलेशन वार्ड, इनवेसिव और गैर-इनवेसिव वेंटीलेटर के लिए स्टील बेड की एक बड़ी संख्या, गैर-सम्पर्क थर्मल बॉडी टेम्परेचर मापने वाले गन्स, ऑक्सीजन सिलिंडर, सैनिटाइजर, एन -95 फेस मास्क, फेस शील्ड्स, इनर गाउन, डिसइन्फेक्टेंट छिड़काव पंप, सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन आदि के साथ-साथ 410 आइसोलेशन कोच भी सुनिश्चित किये गये। अब तक 4000 से अधिक पीपीई लोअर परेल और महालक्ष्मी कारखानों द्वारा तैयार किए गए हैं।

 


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